जमशेदपुर: जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 इस साल सिर्फ दो दिनों का आयोजन नहीं रहेगा, बल्कि यह एक लंबी और जीवंत सृजन प्रक्रिया का रूप लेगा। फेस्टिवल के दौरान उठने वाले हर सवाल, विचार, वक्तव्य और विमर्श को संकलित कर एक स्थायी दस्तावेज़ में संरक्षित किया जाएगा।
संदीप मुरारका ने बताया कि फेस्टिवल के बाद एक विशेष पुस्तक “संवादों से सृजन तक” प्रकाशित की जाएगी। यह पुस्तक साहित्य, समाज, आदिवासी चेतना, दर्शन, कला, रंगमंच और समकालीन चिंतन की प्रमुख धाराओं का संग्रह होगी।
फेस्टिवल की स्मारिका में आयोजन की प्रमुख सामग्री संकलित की जाएगी। इसमें शामिल होंगे:
- प्रत्येक सत्र का सारांश और प्रमुख उद्धरण
- वक्ताओं के सम्मान और अभिव्यक्तियों की झलक
- “स्वर्ण-पंक्तियाँ” — ऐसे वाक्य जो दिल पर गूँज छोड़ें
- वक्ताओं के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान
- दोनों दिनों की प्रमुख तस्वीरें
- समाचार पत्रों में प्रकाशित विवरण और कटिंग्स
- आयोजन के उद्देश्य, उपलब्धियाँ और निष्कर्ष
- उत्कृष्ट प्रश्न पूछने वाले प्रतिभागियों का विशेष उल्लेख
यह स्मारिका आने वाले वर्षों तक फेस्टिवल की विचार-परंपरा को आगे बढ़ाने वाला अमूल्य दस्तावेज साबित होगी।
सत्र-सामग्री संकलन में मदद के लिए इच्छुक साथियों से सहभागिता का आग्रह किया गया है। इसके लिए दो विशेष दल बनाए गए हैं — खुले प्रांगण वाले सत्र और सभागार वाले सत्र।
कमल किशोर अग्रवाल ने कहा कि जो साहित्यकार लेखन, विवरण-लेखन या संवाद-संरक्षण में रुचि रखते हैं, वे अपना समय दे सकते हैं। यह केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि इतिहास-लेखन में सहभागी बनने का अवसर है।
अजय भालोटिया और मंटू अग्रवाल ने कहा कि जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा सृजन है जिसमें हर उपस्थित व्यक्ति लेखक है और हर संवाद — एक अमर दस्तावेज बनेगा।