जमशेदपुर: सिख संस्था कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने मुंबई हाईकोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ के नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब बोर्ड बहाली के फैसले का स्वागत किया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2022 के फैसले को खारिज करते हुए दो महीने के भीतर बोर्ड की यथास्थिति बहाल करने का आदेश दिया। अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राजनीतिक कारणों से बोर्ड को भंग कर प्रशासक नियुक्त कर दिया था। इसके बाद नया बोर्ड बनाने हेतु विधानसभा में कानून लाने का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन भाजपा की युति सरकार ने इसे सुरक्षा कारणों से लागू नहीं किया।
सिख समुदाय ने 2022 और 2024 में दो याचिकाएं दाखिल कीं। पीठ में न्यायमूर्ति आरजी अवचट और न्यायमूर्ति अबासाहेब शिंदे ने पाया कि:
बोर्ड के प्रत्येक सदस्य को 30 मई 2022 का कारण बताओ नोटिस सही तरीके से नहीं दिया गया।
नोटिस केवल प्रेसिडेंट को संबोधित था, जिससे सदस्य निष्पक्ष सुनवाई से वंचित रहे।
राज्य सरकार ने जाँच रिपोर्ट प्राप्त किए बिना नोटिस जारी किया, जिसमें प्रशासनिक चूकों और महामारी नियम उल्लंघनों की शिकायतें शामिल थीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो चुका था, लेकिन अधिनियम की धारा 8 के तहत नए बोर्ड के गठन तक सदस्य पद पर बने रहते हैं।
सरकार के कदम को अवैध करार देते हुए, कोर्ट ने बोर्ड के अधिक्रमण को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बोर्ड भंग करने में राजनीतिक जल्दबाजी की गई और पिछले एमवीए सरकार के अंतिम दिन यह निर्णय लिया गया।
श्री हजूर साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन का अंतिम समय बिताया था। यहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अंतिम गुरु मानने का आदेश सिखों को दिया गया है, इसलिए बोर्ड की बहाली सिख धर्म और समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने कहा कि यह फैसला सिख समुदाय और धर्म की प्रतिष्ठा की जीत है। उन्होंने न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब बोर्ड की प्राकृतिक न्याय और धार्मिक नियमों के अनुसार संचालन सुनिश्चित होगा।