जमशेदपुर: आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर ने झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हेमंत सरकार न तो विकास कर पा रही है और न ही कानून व्यवस्था संभाल पा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में आजसू के संघर्षों के कारण अलग राज्य का निर्माण संभव हुआ, जबकि झामुमो और कांग्रेस उस दौर में सिर्फ सौदेबाजी करते रहे।
झारखंड आंदोलन का श्रेय आजसू को
प्रभाकर ने कहा कि 1989 में झारखंड आंदोलन के दौरान पहली वार्ता केंद्र सरकार ने आजसू के साथ की थी। वर्ष 1998 में जब लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि ‘झारखंड मेरी लाश पर बनेगा’, तब झामुमो ने कोई विरोध नहीं किया, जबकि आजसू ने उसी वर्ष 21 सितंबर को झारखंड बंद का आह्वान कर जबरदस्त जनसमर्थन जुटाया। उन्होंने यह भी बताया कि 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आजसू से वार्ता की थी, जिसमें गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने ‘वनांचल’ की बजाय ‘झारखंड’ नाम पर सहमति जताई।
विकास और कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
प्रेस वार्ता में प्रभाकर ने कहा कि झारखंड सरकार की नीतियों के कारण विकास कार्य ठप पड़े हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले चार महीनों से कोई राशि खर्च नहीं की जा रही है। उन्होंने ‘मइया योजना’ में भी वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया।
ओबीसी आरक्षण और निकाय चुनाव पर सरकार को घेरा
प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि सरकार जानबूझकर ओबीसी को 27% आरक्षण देने में टालमटोल कर रही है और नगर निकाय चुनावों में भी देर कर जनता के अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया में भी अनियमितताएं बरती जा रही हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा पर उपेक्षा का आरोप
उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि “मरीजों को खाट पर ढोया जा रहा है और सरकार अटल क्लिनिक का नाम बदलने जैसे दिखावटी कार्यों में व्यस्त है।” उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और मदर टेरेसा, दोनों के नाम से इस तरह की राजनीति कर सरकार ने दोनों महान व्यक्तियों का अपमान किया है।
इस मौके पर केंद्रीय मीडिया संयोजक परवाज खान, जिला के वरीय उपाध्यक्ष संजय सिंह, प्रवक्ता अप्पू तिवारी, देवाशीष चट्टोराज, अभय कुमार सिंह सहित अन्य नेता उपस्थित थे।
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