
सरायकेला: नीमडीह प्रखंड के तिल्ला पंचायत अंतर्गत कुशपुतुल, लायाडीह, सिमा, गुंडा और जामडीह जैसे गांव इन दिनों जंगली हाथियों के भय से सहमे हुए हैं. खासतौर पर कुशपुतुल के सिरका टोला में बीती रात एक ट्रस्कर हाथी ने छह घरों को निशाना बनाते हुए जबरदस्त उत्पात मचाया. ग्रामीणों के अनुसार, हाथी रात के अंधेरे में आंगन में दाखिल हो गया. लोग डर के मारे न कुछ बोल सके, न भाग सके. उसने घरों में रखे अनाज, चावल, आलू, बीज और अन्य सामान खा लिए. साथ ही कई घरों के दरवाजे और मशीनें तोड़ डालीं.
घटना के समय दिवंगत मंत्री घनश्याम महतो की पत्नी भी घर में मौजूद थीं. लेकिन आस-पड़ोस के लोगों की सतर्कता से वे समय रहते सुरक्षित बाहर निकाल ली गईं. इस भयावह दृश्य ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है.
चांडिल वन क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा माइकिंग कर लोगों को सतर्क रहने की अपील तो की जा रही है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. वे वन विभाग पर भ्रष्टाचार और लापरवाही का आरोप लगाते हैं.
प्रभावित परिवारों का दावा है कि हाथी के हमले में लगभग एक लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है.
क्यों बढ़ रहा है हाथियों का झुंड सरायकेला की ओर?
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दलमा सेंचुरी में भोजन और पानी की कमी के चलते हाथियों का एक बड़ा समूह ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र की ओर पलायन कर चुका है. पिछले सात से दस वर्षों से यह क्षेत्र हाथियों के लिए भोजन का नया स्रोत बन गया है, जिससे वे बार-बार लौटकर आ रहे हैं.
फॉरवर्ड ब्लॉक के राष्ट्रीय सचिव नृपेन्द्र महतो ने स्पष्ट किया कि यदि पीड़ितों को जल्द मुआवजा नहीं मिला और हाथियों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो ग्रामीण संगठित होकर आंदोलन करेंगे. उन्होंने वन विभाग की उदासीनता को लेकर तीखी आलोचना की.
चांडिल रेंजर शशि प्रकाश रंजन ने कहा कि हाथियों को भगाने के लिए लगातार माइकिंग, पटाखों और अन्य उपायों का इस्तेमाल किया जा रहा है. विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए तैयार है.
हाथियों के लगातार हमले ने न केवल घरों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि खेतों को भी रौंद डाला है. सीमावर्ती गांवों में अब बारिश और हाथियों की दोहरी मार से ग्रामीण बुरी तरह परेशान हैं. लोग शाम होते ही घरों में कैद हो रहे हैं, और खेत वीरान होते जा रहे हैं.
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