
सरायकेला: चिलगू पंचायत के तुलिन गांव और समीपवर्ती काठजोड़ में डायरिया ने कहर बरपा दिया है. दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के तराई क्षेत्र में बसे इस बहुल आदिवासी आबादी वाले गांव में अब तक कम से कम 18 लोग डायरिया से संक्रमित हो चुके हैं.
स्थानीय सामुदायिक भवन को ही अस्थायी इलाज केंद्र बना दिया गया है. जहां मरीजों का इलाज न तो अस्पताल में हो रहा है और न ही किसी व्यवस्थित स्वास्थ्य केंद्र में. मरीज ज़मीन और खटिया पर लेटे हैं. कुछ लोग निजी स्तर पर इलाज करवा रहे हैं, जबकि सरकारी डॉक्टर केवल कुछ देर के लिए आए और लौट गए.
लगातार बारिश से गांव के खेत-खलिहान, आंगन और रास्तों में गंदा पानी जमा हो गया है. मच्छरों की बढ़ती संख्या और दूषित पेयजल के सेवन से ग्रामीणों को उल्टी, दस्त और पेट दर्द की शिकायतें होने लगी हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के सैइया (सहिया) को बीमारी की जानकारी पहले दी गई थी, पर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया. उनका आरोप है कि सहिया की लापरवाही के कारण गांव में स्थिति गंभीर हो गई.
ग्रामीणों ने चांडिल स्वास्थ्य केंद्र जाकर अधिकारियों को सूचित किया है. उन्होंने गांव में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था और जरूरी दवाओं के वितरण की मांग की है ताकि बीमारी और न फैले.
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