Saraikela: सरकारी योजनाएं नदारद, टूटी आशियाने की छत – खेती अब किसान की मजबूरी!

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सरायकेला: सरायकेला जिला के चालियामा पंचायत क्षेत्र में कुछ किसानों ने श्री विधि के माध्यम से धान की रोपनी शुरू कर दी है. परंतु इस बार बारिश अधिक होने से खेतों में पानी भर गया है, जिससे धान का चारा उगाना भी मुश्किल हो गया है. कई किसानों की बीज बर्बाद हो चुकी है.

किसान गोपाल सिंह बताते हैं कि पहले बैल से खेत की जोताई और गोबर खाद से मिट्टी उपजाऊ रहती थी. अब आधुनिक तकनीक और रसायनों के उपयोग से लागत अधिक और लाभ कम हो गया है.

सरकारी योजनाएं नदारद, टूटी आशियाने की छत
चालियामा गांव में तेज बारिश के कारण आदरी सिंह, कालीपद सिंह, उत्तम मंडल और प्रदीप मंडल समेत कई गरीबों के मकान ढह गए. कई लोग तिरपाल के नीचे शरण लिए हुए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें अबुआ आवास और पीएम आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है.

बीज वितरण और प्रशिक्षण में भी लापरवाही
किसानों का कहना है कि कृषि विभाग द्वारा न तो समय पर प्रशिक्षण दिया गया, न ही बीज वितरित किए गए. मजबूर होकर निजी स्तर पर बीज खरीदकर खेती करनी पड़ रही है. ललाट, सरन, हाईब्रिड और हजार-1 जैसे ब्रांडेड बीजों को ऊंचे दामों पर खरीदा जा रहा है.

ट्रैक्टर से जोताई बन रही महंगी सौदा
पहले खेत की जोताई बैल और हल से होती थी, अब ट्रैक्टर ही एकमात्र विकल्प है.

सामान्य ट्रैक्टर जोताई का खर्च: ₹1100 से ₹1300 प्रति घंटा

लोटार ट्रैक्टर जोताई का खर्च: ₹1400 से ₹1600 प्रति घंटा

मजदूरी दर: ₹120 से ₹200 प्रति दिन

इससे खेती लाभ का नहीं, घाटे का सौदा बनती जा रही है.

श्री विधि पर सवाल, रसायनों से खेत बंजर
किसानों का आरोप है कि श्री विधि में उपयोग होने वाले रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही है. परंपरागत खेती में जहां लागत कम और पैदावार अधिक थी, वहीं अब खर्च अधिक और मुनाफा नगण्य हो गया है.

किसानों ने बताया कि जब पानी की जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई और अब जब रोपनी का समय आया है तो अत्यधिक वर्षा ने खेतों को डुबो दिया है. नदी-नालों में उफान से खेतों में रोपनी करना और भी कठिन हो गया है.

 

 

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