सरायकेला: राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर आज लोक अदालत हॉल, सिविल कोर्ट, सरायकेला में एक कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था — “कानूनी सेवाएँ गुणवत्ता में कमजोर नहीं होनी चाहिएं।”
कार्यक्रम में पद्मश्री सम्मानित छुटनी महतो, मुख्य विधिक सहायता प्रतिरक्षा अधिवक्ता दिलीप शॉ, सहायक एल.ए.डी.सी. अम्बिका चन्द्र पाणी, तथा जिले के विभिन्न कोनों से आए पैरा लीगल वॉलंटियर्स उपस्थित रहे।
छुटनी महतो ने समाज में व्याप्त “डायन” कहने जैसी कुप्रथा के खिलाफ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि यह प्रथा महिलाओं के सम्मान के लिए कलंक है और इसके खिलाफ सभी को मिलकर संघर्ष करना चाहिए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डी.एल.एस.ए.) के सचिव तौसीफ मीराज ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि नि:शुल्क कानूनी सहायता केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाली होनी चाहिए, ताकि समाज के सबसे वंचित वर्ग तक न्याय पहुँच सके।
वक्ताओं ने कहा कि कानूनी सहायता को संविधान के अनुच्छेद 21 और 39(क) के तहत संवैधानिक कर्तव्य के रूप में देखा जाना चाहिए, ताकि सभी को न्याय तक समान पहुँच सुनिश्चित हो।
कार्यक्रम में यह भी स्मरण किया गया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस की शुरुआत 1995 में NALSA द्वारा की गई, जब विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 लागू हुआ। कार्यक्रम का समापन कानूनी जागरूकता को सशक्त बनाने, समाज में समान न्याय बढ़ाने और प्रत्येक व्यक्ति तक न्याय पहुँचाने के संकल्प के साथ किया गया।
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