- कार्यक्रम में डॉ. जटाशंकर पांडे ने किया संबोधन, कहा– ‘डॉ. श्रीकृष्ण सिंह का जीवन त्याग, सेवा और समर्पण का प्रतीक’
- कार्यक्रम में छात्रों ने दिया संदेश– महापुरुषों के आदर्शों को अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है
सरायकेला : सरायकेला जिले के लुपुंगडीह स्थित नारायण प्राइवेट आईटीआई परिसर में सोमवार को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पण के साथ हुआ। संस्थान परिसर में देशभक्ति का वातावरण छा गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक सह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ. जटाशंकर पांडे ने डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के जीवन और योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “डॉ. श्रीकृष्ण सिंह भारतीय राजनीति के महान योद्धा, शिक्षाप्रेमी और समाज सुधारक थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर बिहार के विकास तक अपने जीवन को राष्ट्र सेवा में समर्पित किया।”
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डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर छात्रों ने प्रस्तुत किए प्रेरणादायक कार्यक्रम
डॉ. पांडे ने कहा कि श्री बाबू 20 जुलाई 1937 से 31 अक्टूबर 1939 तक बिहार के मुख्यमंत्री (तत्कालीन प्रधानमंत्री) रहे और बाद में स्वतंत्र भारत के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 1946 से 1961 तक राज्य का नेतृत्व किया। उन्होंने बिहार में सुशासन, शिक्षा और समानता की नींव रखी। उनकी पहल पर पटना विश्वविद्यालय का विस्तार हुआ और अनेक स्कूल, कॉलेज तथा तकनीकी संस्थान स्थापित किए गए। वे न केवल शिक्षा के प्रसारक थे, बल्कि सामाजिक सुधार के प्रबल समर्थक भी थे। उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई तथा समाज के हर वर्ग को समान अवसर देने की दिशा में कार्य किया।
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डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में रखी थी मजबूत नींव
डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने अपने शासनकाल में किसानों और मजदूरों के हित में कई ऐतिहासिक नीतियां लागू कीं। भूमि सुधार, सिंचाई परियोजनाएं और उद्योगों के विकास पर उनका विशेष ध्यान था। उनके नेतृत्व में बोकारो स्टील प्लांट और कई सिंचाई नहरों की नींव रखी गई। वे अत्यंत सादगीपूर्ण जीवन जीते थे और सत्ता में रहते हुए भी जनहित को सर्वोपरि रखा। कार्यक्रम में एडवोकेट निखिल कुमार, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, देवाशीष मंडल, शुभम साहू, पवन कुमार महतो, शशि भूषण महतो, अजय कुमार मंडल, गौरव महतो समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। छात्रों ने डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के जीवन पर भाषण, गीत और विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में डॉ. पांडे ने कहा – “महापुरुषों की जयंती मनाने का उद्देश्य केवल स्मरण नहीं, बल्कि उनके विचारों को जीवन में उतारना है।”