West Singhbhum: पोषण पखवाड़ा बना जन आंदोलन, सेविकाओं की स्कूटी रैली और जागरूकता रथ से छेड़ी गई पोषण क्रांति

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पश्चिम सिंहभूम: पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय परिसर से जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने पोषण पखवाड़ा के तहत तीन जागरूकता रथों और सेविकाओं की स्कूटी रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह पहल जिला समाज कल्याण कार्यालय के तत्वावधान में संचालित की जा रही है.

इस अवसर पर अपर उपायुक्त प्रवीण केरकेट्टा, नजारत उप समाहर्ता देवेंद्र कुमार, जिला पंचायत राज पदाधिकारी सबिता टोपनो, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती, जिला योजना पदाधिकारी फ्रांसिस कुजूर और सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक खुशेंद्र सोनकेशरी सहित कई सेविकाएं उपस्थित रहीं.

हर घर तक पोषण का संदेश, लिया गया संकल्प

उपायुक्त के नेतृत्व में सभी अधिकारियों और उपस्थित जनों ने “हर घर तक सही पोषण, देश रोशन” के संकल्प के साथ हस्ताक्षर पट्टिका पर हस्ताक्षर कर अभियान में भागीदारी निभाई. उन्होंने कुपोषण मुक्त, स्वस्थ समाज के निर्माण की शपथ ली.
यह विशेष अभियान 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन संचार के साथ सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देते हुए पोषण स्तर में सुधार लाना है.

रथ पहुंचेंगे सुदूरवर्ती इलाकों तक

उपायुक्त ने जानकारी दी कि जागरूकता रथ जिले के सभी प्रखंडों के दूर-दराज के गांवों तक पहुंचकर लोगों को पोषण के प्रति जागरूक करेंगे. बच्चों के जीवन के प्रारंभिक 1000 सुनहरे दिवस, पोषण ट्रैकर, समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन, और स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जानकारी दी जाएगी.

उपायुक्त ने यह भी कहा कि रथों के माध्यम से ग्रामीणों को भोजन में हरी सब्जियां, फल, दूध, अंडा आदि शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. यह प्रयास बच्चों में मोटापे की समस्या को दूर करने और पोषण संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

सेविकाओं की स्कूटी रैली बनी आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम की एक खास झलक सेविकाओं की स्कूटी रैली रही, जिसने जिलेभर में जागरूकता फैलाने के लिए संकल्पित भाव से भागीदारी की. यह रैली न केवल दृश्य रूप में प्रभावशाली रही, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को प्रेरित करने का माध्यम भी बनी.

इस अवसर ने जिले में कुपोषण के विरुद्ध एक जन आंदोलन की नींव रखी है. जिला प्रशासन और समाज कल्याण विभाग की यह पहल अगर प्रभावी ढंग से आगे बढ़े, तो निश्चित ही समाज के कमजोर वर्गों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं.

 

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