JHARKHAND POLITICS: निशिकांत दुबे की संसद में उठाए गए मुद्दे से क्या झारखंड के आदिवासियों व मूलवासियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की संजीवनी मिल गई है ? जानिए क्या है पूरा मामला

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व्यूरो रिपोर्ट

रांचीः संसद में पिछले दिनों गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संथाल परगना में बंगलादेशियों की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर संथाल परगना को अलग राज्य बनाए जाने की मांग की. जिसको लेकर झारखंड में घमासान मच गया है. हालांकि बीते पूरे विधानसभा चुनाव में बंगलादेशी का मुद्दा छाया रहा लेकिन भाजपा को इसका एक प्रतिशत भी लाभ नहीं मिला. बिहार यूपी में होने वाले चुनाव को देखते हुए एख बार निशिकांत दुबे इस मुद्दे को हवा देने का प्रयास कर रहे है. जहां झारखंड के आदिवासी मूलवासी इसे अपने अस्तित्व से जोड़ कर देख रहे है वहीं विपक्षी पार्टी इसे बीजेपी की विभाजनकारी नीति का हिस्सा बताकर इसका पूरजोर विरोध कर रही है. रडान न्यूज 24 ने इस मद्दे पर सांसद जोबा माझी,पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो एवं वरिष्ठ पत्रकार उमेश प्रताप से बातचीत की. आइए जानते है उन्होंने क्या कहा ……

 

जमशेदपुर लोकसभा के पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो

निशिकांत बिहारी है इसलिए झारखंड को तोड़ने की बात कर रहे हैं – शैलेन्द्र

जमशेदपुर लोकसभा के पूर्व सांसद एवं झारखंड आदोलनकारी शैलेन्द्र महतो ने कहा कि निशिकातं दुबे मूलतः बिहारी हैं. इसलिए झारखंड अलग राज्य बनने की प्रसव पीड़ा का एहसास उन्हें नहीं है.तभी तो वे झारखंड से संथाल परगना को अलग करने की बात करते है. झारखंड अलग राज्य के गठन में उनकी भूमिका नगण्य रही है. कई वर्षों के आंदोलन एवं कई लोगों के बलिदान के बाद झारखंड अलग राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ. महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलन की पूरी गाथा मेरे द्वारा लिखी पूस्तक “झारखंड की समरगाथा” में वर्णित है. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के चौमुखी विकास में योगदान के बजाए निशिकांत दुबे झारखंड को तोड़ने की बात कर रहे हैं. जो झारखंड के आदिवासियों को भी स्वीकार नहीं होगा.

 

सिंहभूम लोकसभा से झामुमो सांसद जोबा माझी

किसी भी कीमत पर झारखंड को बटने नहीं देंगे – जोबा माझी

सिंहभूम लोकसभा से झामुमो सांसद जोबा माझी ने कहा कि झारखंड के आदिवासी व मूलवासी किसी भी कीमत पर झारखंड को बटने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे द्वारा संसद में संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग करना झारखंड के आंदोलनकारियों का अपमान है. भाजपा कभी आदिवासियों का भला नहीं चाहती है. संथाल में भाजपा को चुनाव में बार बार हार का सामना करना पड़ा है. प्रदेश की आदिवासी मूलवासी एकजुट हैं और वे किसी भी कीमत पर झारखंड को बटने नहीं देंगे.

 

वरिष्ठ पत्रकार उमेश प्रताप

बिहार- यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से जुड़ा है गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का बयान – उमेश प्रताप

वहीं वरिष्ठ पत्रकार उमेश प्रताप का कहना है कि गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद पटल पर संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर जो बातें रखी हैं, उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. दुबे का यह व्यक्तिगत बयान नहीं है. बल्कि भाजपा की सोची समझी राजनीति का एक हिस्सा है. दुबे और भारतीय जनता पार्टी झारखंड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन का मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते हैं. साथ ही बिहार और पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से भी यह बयान जुड़ा है. इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब – तलब करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश का अनुपालन नहीं करने को कहा है. जिसमें राज्य सरकार को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया था. निशिकांत दुबे झारखंड के मुख्यमंत्री का ध्यान मूल मुद्दों से भटकाना चाहते हैं. बिहार का अररिया और पश्चिम बंगाल का मालदा और खुर्शिदाबाद को संथाल परगना में बांग्ला घुसपैठियों से जोड़कर आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों राज्यों में भाजपा लाभ लेना चाहती है. 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरी थी. झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को बेटी – रोटी – माटी का मुद्दा बनाकर इलेक्शन कैंपेन किया था, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के सभी चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था. भाजपा को लगने लगा था कि यह मुद्दा झामुमो को सत्ता से उखाड़ फेंकेगा, लेकिन परिणाम विपरीत आया. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने संथाल परगना में जीत का परचम लहराया. झामुमो की अगुवाई में इंडिया गठबंधन को 56 सीट मिली. संथाल परगना परमंडल की 18 सीटों में से झामुमो ने अकेले 11 सीटों पर जीत दर्ज कर पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वज कर दिया. वही चार सीट पर कांग्रेस और दो सीट पर राजद को जीत मिली. लोकसभा में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने 1951 में संथाल परगना में कराए गए जनगणना के मामला को उठाते हुए कहा कि उस वक्त संथाल परगना की जनसंख्या 45% थी जो 2011 में घटकर 28% हो गई और मुसलमानों की जनसंख्या 9% थी जो 2011 में बढ़कर 24% हो गई. पूरे देश में मुसलमान की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. इस दौरान संथाल परगना में 15% जनसंख्या मुसलमानों की बढ़ गई है और ये सभी बांग्लादेश घुसपैठी है. उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला हिंदू मुसलमान का नहीं हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आदिवासियों का अस्मिता से जुड़ा है. जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर की है, इसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया था. मामले को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश का अनुपालन नहीं करने और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया हैं. यह पूरा मामला गृह मंत्रालय भारत सरकार से जुड़ा है. सांसद निशिकांत की बात को अगर आधार मान भी लिया जाय तो 2011 से लेकर 2019 के बीच भाजपा आठ साल और झारखंड राज्य बनने से लेकर अब तक लगभग 14 वर्ष सत्ता में रहीं. 2011 से लेकर अबतक संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों का सर्वाधिक अवैध प्रवेश हुआ है, तो भाजपा की सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाया और वह भी तब जब राज्य और केंद्र में डबल इंजन की सरकार थी. क्या राज्य में विपक्षी पार्टी की सरकार बनने के बाद ही इसकी जिम्मेवारी तय होती है. इसके पहले झारखंड की स्पेशल ब्रांच की एक टीम ने पिछले साल एक पत्र जारी कर बांग्लादेशी घुसपैठियों का संथाल परगना में आकर मदरसों में ठहरने और फर्जी आईडी बनाकर नागरिकता हासिल करने के मामले की जांच करने की बात कहीं थी.

सरहदी इलाकों में घुसपैठ, लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दे जब जोर पकड़ने लगे और इसके लिए केंद्र सरकार पर भी आरोप लगने लगे तो बॉर्डर पर निगरानी सख्त कर दी गई. झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए झारखंड जन अधिकार महासभा से जुड़े सिराज दत्ता ने सूचना अधिकार के तहत एक जानकारी मांगी थी जिस पर गृह विभाग ने अपने जवाब में स्पष्ट कर दिया कि उनके पास बांग्लादेशी घुसपैठी का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. इसकी जानकारी राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों या अप्रवासन ब्यूरो के पास हो सकता है. ऐसे भी भारतीय सीमा से जुड़े या चुपके से किसी राज्य में प्रवेश करने का मामला केंद्र सरकार से जुड़ा है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा संथाल परगना को अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग केंद्र सरकार के लिए उल्टा भी पड़ सकता है, क्योंकि 2011 में यूपी विधानसभा ने राज्य के चार हिस्सों बुंदेलखंड, पूर्वांचल, अवध और पश्चिम प्रदेश में बटवारा का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था और जो गृह मंत्रालय में धूल फांक रही है. आगे जारी …….

 

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