
जमशेदपुर: हिंदू धर्म में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाए जाने वाले नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. मान्यता है कि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा से साधकों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं. इन नौ देवियों को केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि औषधीय महत्व के रूप में भी देखा जाता है.
नवदुर्गा और उनके औषधीय स्वरूप
1. शैलपुत्री (हरड़) – हरड़ आयुर्वेद की प्रमुख औषधि मानी जाती है. यह पाचन को दुरुस्त रखने के साथ-साथ कई बीमारियों में उपयोगी है.
2. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) – यह औषधि याददाश्त बढ़ाने और रक्त विकार दूर करने में सहायक है.
3. चंद्रघंटा (चंदुसूर) – धनिए के समान दिखने वाली यह औषधि मोटापा कम करने में प्रभावी होती है.
4. कूष्मांडा (पेठा) – पेट को साफ करने और मानसिक रोगों में लाभकारी यह औषधि मिठाई के रूप में भी जानी जाती है.
5. स्कंदमाता (अलसी) – फाइबर युक्त अलसी रक्त को शुद्ध करने और शरीर को ऊर्जावान बनाने में सहायक होती है.
6. कात्यायनी (मोइया) – गले व कफ संबंधी रोगों को दूर करने वाली यह औषधि अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका नामों से भी जानी जाती है.
7. कालरात्रि (नागदौन) – यह औषधि मानसिक शांति प्रदान करने के साथ ही पाइल्स जैसी समस्याओं में भी रामबाण मानी जाती है.
8. महागौरी (तुलसी) – हृदय और रक्त शुद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तुलसी के सेवन से शरीर को कई रोगों से बचाया जा सकता है.
9. सिद्धिदात्री (शतावरी) – महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी यह औषधि प्रसूता माताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है.
प्रकृति की देन को अपनाएं
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर हमें इन औषधियों को अपने जीवन में शामिल कर स्वास्थ्य लाभ उठाना चाहिए. यह न केवल हमारी संस्कृति से जुड़ा है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभदायक है.
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