
पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर मतदाता अधिकारों को लेकर देशभर में आवाज बुलंद की है. इस बार उन्होंने चिट्ठियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी नेताओं का ध्यान आकृष्ट किया है.
तेजस्वी यादव ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम पर गंभीर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे गरीबों और अनपढ़ों के नाम मतदाता सूची से हटाने की ‘साजिश’ करार दिया है.
इसी कड़ी में तेजस्वी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित देशभर के 35 विपक्षी नेताओं को अंग्रेज़ी में पत्र लिखा है.
पत्र में तेजस्वी यादव ने लिखा है, “यह पत्र मैं गहरी पीड़ा के साथ लिख रहा हूँ. भाजपा सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग मतदाता सूची की आड़ में मतदान के अधिकार और लोकतंत्र पर हमला कर रहा है. जब तक यह प्रक्रिया पारदर्शी और समावेशी नहीं हो जाती, तब तक हमें इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए.”
उन्होंने आगे लिखा है, “चुनाव आयोग जैसी स्वायत्त संस्था अब जनता के लोकतांत्रिक विश्वास को तोड़ने का काम कर रही है. हर नागरिक को अपने वोट पर गर्व होता है, यही लोकतंत्र की असली ताकत है.”
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के 16 जुलाई 2025 के प्रेस नोट का हवाला देते हुए बताया कि आयोग ने करीब 4.5% आबादी को “पते पर उपलब्ध न होने” के आधार पर सूची से बाहर कर दिया है. इसके अलावा, करीब 4% ऐसे मतदाता भी बाहर कर दिए गए हैं जिन्हें “संभवत: मृत” या “स्थानांतरित” घोषित किया गया है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह आंकड़ा 12% से 15% तक जा सकता है. यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी मतदाता बहिष्कृति मानी जा रही है.
तेजस्वी यादव ने यह चेतावनी भी दी कि बिहार के बाद यदि यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में लागू की जाती है, तो देश के करोड़ों वंचित और हाशिए पर खड़े मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं. उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की है कि वे एकजुट होकर इस ‘संभावित लोकतांत्रिक संकट’ का विरोध करें और आयोग पर पारदर्शिता लाने का दबाव बनाएं.
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