जमशेदपुर: झारखंड जनाधिकार महासभा के बैनर तले मंगलवार को विधानसभा भवन के सामने एकदिवसीय धरना प्रदर्शन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में युवा, छात्र, मज़दूर और समाज के विभिन्न तबकों के लोग शामिल हुए। सबने मिलकर झारखंडियों के हक़ और अधिकार की बुलंद आवाज़ उठाई।
धरने में वक्ताओं ने कहा कि रघुवर सरकार की स्थायीकरण नीति राज्यहित में नहीं है। इसे रद्द कर मूल गांव आधारित नई नीति बनाई जानी चाहिए। राज्य में विवादमुक्त और स्थायी नियोजन नीति लागू हो ताकि सभी रिक्त पदों पर स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिल सके।
वक्ताओं ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और महिलाओं को बढ़ा हुआ आरक्षण देने की मांग रखी। भूमिहीन दलितों को जाति प्रमाण पत्र और ज़मीन दिलाने की प्रक्रिया को आसान बनाने और इसके लिए विशेष शिविर लगाने की बात कही गई।
धरने में यह भी कहा गया कि पलायन रोकने के लिए ठोस कौशल विकास, मज़दूर अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर मजबूत नीति की ज़रूरत है। उच्च शिक्षा और शोध संस्थानों में स्थानीय युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी विशेष नीतियां बनाने की मांग की गई।
जमशेदपुर से आए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दीपक रंजीत ने किया। उन्होंने कहा कि झारखंडियों को पहचान दिलाने और स्थानीय नीति लागू करने की दिशा में सरकार से ठोस पहल की अपेक्षा है। उन्होंने साफ कहा कि यह धरना सरकार को याद दिलाने और सचेत करने के लिए आयोजित किया गया है।
धरने के अंत में झारखंड जनाधिकार महासभा ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई न्याय, रोज़गार और सम्मान की है। इस संघर्ष को मंज़िल तक ले जाने के लिए आंदोलन लगातार जारी रहेगा।
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