
सरायकेला: सरकार ने विस्थापन और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए आयोग के गठन की घोषणा की है। हालांकि इस पर विस्थापित संगठनों ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि यदि आयोग में वास्तविक विस्थापितों की भागीदारी नहीं होगी तो यह कदम महज़ दिखावा साबित होगा।
चांडिल डैम विस्थापित अधिकार मंच फाउंडेशन के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो ने कहा कि विस्थापितों को दरकिनार कर आयोग बनाना, उनके घावों पर नमक छिड़कने जैसा होगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा—“अब और धोखा नहीं चलेगा।”
विस्थापित संघर्ष समिति के सचिव विवेक सिंह बाबू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पहले भी पुनर्वास नीतियाँ खोखली साबित हुईं, जहाँ विस्थापितों के अधिकारों की अनदेखी कर दलालों और भ्रष्टाचारियों को फायदा पहुँचाया गया। अगर इस बार भी वही गलती दोहराई गई तो विस्थापित चुप नहीं बैठेंगे।
समिति ने सरकार से मांग की है कि आयोग में केवल रेयती जमीन दाता विस्थापितों को ही शामिल किया जाए। यदि यह मांग नहीं मानी गई तो विस्थापित समुदाय राज्यव्यापी उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।
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