
घाटशीला: झारखंड की राजनीति में चर्चित घाटशीला विधानसभा उपचुनाव का सस्पेंस खत्म हो गया है। पूर्व शिक्षा मंत्री स्व. रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई इस सीट पर अब उनके पुत्र सोमेश सोरेन उतरेंगे। सोमेश का कहना है कि पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना उनका कर्तव्य है और घाटशीला की जनता इस बार भी उनके साथ खड़ी होगी।
झामुमो की परंपरा और टिकट की संभावना
हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की ओर से आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि टिकट सोमेश को ही मिलेगा। गिरीडीह उपचुनाव में स्व. जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को टिकट देकर जीत मिली थी। बेरमो उपचुनाव में कांग्रेस ने स्व. राजेंद्र सिंह के पुत्र अनूप सिंह को उतारा था और वे भी विजयी हुए। ऐसे में परंपरा के मुताबिक, घाटशीला में भी सोमेश को प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना प्रबल है।
भाजपा की तैयारी
उधर, भाजपा भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और उन्हें लगभग 75 हजार वोट मिले थे। भाजपा एक बार फिर बाबूलाल पर दांव खेल सकती है। कोल्हान क्षेत्र में चंपई सोरेन का गहरा प्रभाव है, और पार्टी उसी को साधने की कोशिश में है।
दिलचस्प होगा मुकाबला
घाटशीला उपचुनाव भावनात्मक और राजनीतिक समीकरणों का संगम बनता जा रहा है। झामुमो जहां भावनात्मक कार्ड के सहारे सोमेश सोरेन को उतार सकती है। भाजपा संगठन और क्षेत्रीय रणनीति के दम पर बाबूलाल सोरेन को आगे कर चुनौती देने की तैयारी में है। जैसे ही चुनाव आयोग उपचुनाव की औपचारिक घोषणा करेगा, घाटशीला की राजनीति में सियासी जंग और तेज हो जाएगी।
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