Ambedkar Jayanti 2025: अंबेडकर जयंती मनाए जाने का इतिहास और महत्व है बड़ा खास, पढ़ें खबर में

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Ambedkar Jayanti 2025: देश में हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाई जाती है. अंबेडकर जिनको बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है. भारत के लिए उन्होंन कड़ी मेहनत और योगदान दिया था. इसीलिए हर साल 14 अप्रैल को बाबासाहेब को श्रद्धांजलि के तौर पर इसे मनाते हैं. अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है. उन्होंने भारत में समाज सुधार के लिए और दलितों के सुधार के लिए बहुत सारे काम किए हैं. वह एक विश्व स्तरीय वकील और समाज सुधारक थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश को सही दिशा में आगे बढ़ाने का काम किया.

समाज सुधारक थे अंबेडकर

साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद बी आर अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बने थे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न कानूनों और समाज सुधार का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी. अंबेडकर जी का असल सरनेम अंबावडेकर था, लेकिन उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर ने स्कूल के कागजात में उनका नाम बदलकर अंबेडकर कर दिया था. बाबासाहेब की वो शख्स से जिन्होंने लेबर कानून में बदलाव किया था. उन्होंने साल 1942 में भारतीय श्रम सम्मेलन के सातवें सत्र में काम में घंटों में बदलाव करते हुए इसे 12 से 8 घंटे कर दिया था.

अंबेडकर जयंती का इतिहास और महत्व

अंबेडकर जयंती के इतिहास की बात करें तो जनार्दन सदाशिव रणपिसे, अंबेडकर के अनुयायी थे और सामाजिक कार्यकर्ता थे. पहली बार उन्होंने ही 14 अप्रैल 1928 को पुणे में डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई थी. उन्होंने ही पहली बार यह परंपरा शुरू की थी, तब से हर साल भारत में इसे 14 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन सार्वजनिक अवकाश भी रहता है. देश में अंबेडकर जयंती इसलिए भी खास है, क्योंकि जाति आधारित कट्टरता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए आजादी के 75 साल बाद नागरिकों के समान अधिकार की बात करती है.

अंबेडकर ने ही तैयार किया था संविधान का मसौदा

अंबेडकर ने ही भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था, जिसमें जाति, नस्ल, धर्म और संस्कृति की परवाह किए बिना लोगों को समान अधिकार दिया गया था. उन्होंने दलितों के लिए शिक्षा और बुनियादी हित के लिए भी काम किया था. दलितों के लिए सार्वजनिक रूप से पेयजल, हिंदू मंदिरों में प्रवेश के लिए भी उन्होंने ही आवाज उठाई थी.

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