ब्रेस्ट कैंसर की पहचान होगी अब आसान, दिल्ली एम्स का आशा कार्यकर्ता व एआई की मदद से प्रयास है जारी

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भारत दुनिया का कैंसर कैपिटल बन गया है, विश्व भर में हर साल सिर्फ़ ब्रेस्ट कैंसर से होंगी 10 लाख मौतें

नई दिल्ली : भारत में हर वर्ष ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है. हर साल लाखों महिलाएं इसका शिकार हो रही है. ब्रेस्ट कैंसर की जल्द पहचान करने के लिए दिल्ली का एम्स एआई तकनीक पर काम कर रहा है. एआई की मदद से मेमोग्राम जैसे टेस्ट किए जा रहे हैं और इसपर स्टडी भी चल रही है. अब ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं की मदद भी ली जाएगी. आशा कार्यकर्ता दूरदराज के गावों, कस्बों में टीकाकरण का काम देखती हैं. अब वे इन इलाकों में जाकर महिलाओं से ब्रेस्ट कैंसर की पारिवारिक हिस्ट्री और इसके लक्षणों के लेकर महिलाओं से बातचीत करेंगी.
आशा कार्यकर्ता इन महिलाओं का एक डाटा एकत्र करेंगी और इसकी जानकारी एम्स को देंगी. इस जानकारी के आधार पर एआई की मदद से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की जांच की जाएगी. इससे बीमारी का सही समय पर पता चल सकेगा. एम्स ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है.

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एआई की मदद से आसानी से होगी ब्रेस्ट कैंसर की पहचान

दिल्ली एम्स में रेडियोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृतिका ने बताया कि आशा कार्यकर्ता जो डाटा लेकर आएगी उसमें एआई दो मोर्चों पर मदद देगा. इसमें पहले डेटा पूल और लक्षणों के आधार पर यह पहचान हो सकेगी कि किन महिलाओं को मैमोग्राम की जरूरत है. दूसरा एआई की मदद से मैमोग्राम होगा तो इससे कैंसर के छोटे लक्षणों की जानकारी भी मिल जाएगी और समय पर बीमारी की पहचान हो सकेगी. यह एआई मॉडलल एम्स दिल्ली, एनसीआई झज्जर और पीजीआई चंडीगढ़ में पांच साल के डेटाबेस का स्कैन करेगा. इस आधार पर जिन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान होगी उनका समय पर इलाज हो सकेगा. इससे इस बीमारी से होने वाली मौतों को कम किया जा सकेगा. फिलहाल इस मॉडल पर काम किया जा रहा है.

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भारत दुनिया का कैंसर कैपिटल बन गया है, विश्व भर में हर साल सिर्फ  ब्रेस्ट कैंसर से होंगी 10 लाख मौतें

लैंसेट कमिशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2040 तक ब्रेस्ट कैंसर से हर साल दस लाख मौतें होंगी. वैश्विक स्तर पर जिस प्रकार तेजी से स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे है. ऐसे में यह अनुमान लगाआ जा रहा है कि 2020 में ब्रेस्ट कैंसर के 23 लाख नए मामले सामने आए थे जो 2040 तक बढ़ कर 30 लाख को पार करने की संभावना है. एक महिला को सबसे बड़ा डर स्तन कैंसर होने का होता है. क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे कॉमन और खतरनाक कैंसर है. हर साल इसके आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं.

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WHO की हालिया रिपोर्ट क्या कहती है?

लैंसेट की रिपोर्ट से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने एक फरवरी, 2024 को कैंसर से जुड़ा आंकड़ा जारी किया था. इसके मुताबिक 2022 में कैंसर का बोझ वैश्विक स्तर पर 20 लाख नए मामलों से बढ़ गया है. भारत में 14 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें महिला मरीजों का अनुपात कहीं ज्यादा है- 691,178 पुरुष और 722,138 महिलाएं. जिसमें से 1 लाख 92 हजार नए मामलों के साथ दूसरा सबसे बड़ा कैंसर ब्रेस्ट कैंसर था.

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