नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग “वोट चोरों” और लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाने वालों को बचा रहा है। राहुल ने दावा किया कि कर्नाटक के कई विधानसभा क्षेत्रों, खासकर अलंद निर्वाचन क्षेत्र, में कांग्रेस समर्थकों के वोट चुनाव से पहले व्यवस्थित तरीके से हटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक CID ने इस मामले में चुनाव आयोग को 18 महीनों में 18 पत्र लिखे, लेकिन जरूरी जानकारी नहीं दी गई।
राहुल का कहना था कि कर्नाटक की जांच एजेंसी ने तीन साधारण जानकारियाँ मांगी थीं—
वह IP पता जहाँ से आवेदन किए गए।
डिवाइस डेस्टिनेशन पोर्ट का विवरण।
OTP ट्रेल्स।
उन्होंने कहा कि अगर ये जानकारी मिल जाए, तो साफ हो जाएगा कि वोट डिलीट करने की कोशिश कहां से हुई।
राहुल ने यह भी बताया कि 2023 में अलंद सीट से 6,000 से ज्यादा वोट बाहर के फोन नंबर और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके हटाने की कोशिश हुई थी। इसी तरह, महाराष्ट्र के राजुरा क्षेत्र में “फर्जी मतदाता जोड़ने” का मामला सामने आया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने स्पष्ट किया कि यह खुलासा उनका “हाइड्रोजन बम” नहीं है, बल्कि चुनावी धांधली का सबूत पेश करने की एक कड़ी है।
चुनाव आयोग का जवाब: “आरोप निराधार”
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा—
किसी भी वोट को जनता ऑनलाइन नहीं हटा सकती।
प्रभावित मतदाता को सुनवाई का मौका दिए बिना नाम हटाया ही नहीं जा सकता।
2023 में अलंद सीट पर वोट हटाने के कुछ असफल प्रयास जरूर हुए थे, जिन पर आयोग ने खुद FIR दर्ज कराई थी।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 2018 में अलंद सीट भाजपा के सुभाध गुट्टेदार ने जीती थी, जबकि 2023 में यह कांग्रेस के बीआर पाटिल के पास गई।
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