West Singhbhum: खदानों में बाहरी नियुक्तियों से नाराज़गी, स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की माँग

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पश्चिम सिंहभूम: पूर्व जिला पार्षद एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरीय नेता बामिया माझी ने किरीबुरू व मेघाहातुबुरू लौह अयस्क खदानों में हो रही बाहरी नियुक्तियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मुख्य महाप्रबंधक को पत्र भेजकर स्थानीय युवाओं की उपेक्षा पर सवाल उठाया है। साथ ही एक प्रेस नोट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चिंता जताई है।

नियुक्तियों में स्थानीयता का उल्लंघन?
बामिया माझी ने स्पष्ट कहा कि किरीबुरू व मेघाहातुबुरू लौह अयस्क खदानें पश्चिम सिंहभूम ज़िले में स्थित हैं, अतः नियुक्तियाँ भी इसी जिले के युवाओं में होनी चाहिए। उन्होंने माँग की कि नियुक्तियों एवं ठेका मजदूरों की बहाली में स्थायी स्थानीय आवासीय प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जाए।

ग्रुप-डी और सी में स्थानीयों को मिले प्राथमिकता
ग्रुप-डी और सी श्रेणी के पदों पर, विशेषकर खलासी और एटीजेटी जैसे पदों में, स्थानीय बेरोजगार युवक-युवतियों को प्रथम प्राथमिकता देने की माँग उठाई गई है। बामिया माझी ने स्पष्ट किया कि किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा, चिड़िया और टाटा स्टील नोवामुंडी की खदानों में 90 से 100 प्रतिशत नियुक्तियाँ स्थानीय युवाओं में होनी चाहिए।

बाहरी राज्यों के नियुक्त उम्मीदवारों पर आपत्ति
पूर्व जिला पार्षद ने आरोप लगाया कि वर्तमान में जिन उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई है, वे उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, विशाखापट्टनम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे बाहरी राज्यों से हैं। इसके चलते झारखंड के योग्य स्थानीय उम्मीदवारों को दूध में गिरे मक्की की तरह निकाल फेंका जा रहा है।

नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा और पुनर्निरीक्षण की माँग
बामिया माझी ने माँग की कि खदानों से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को प्राथमिकता दी जाए और वर्तमान में की गई सभी नियुक्तियों को रद्द कर नयी प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जो स्थानीय ठेका मजदूर पिछले 10 वर्षों से कार्यरत हैं, उन्हें स्थायी किया जाना चाहिए।

75% स्थानीय आरक्षण को सख़्ती से लागू करने की अपील
नेता ने झारखंड सरकार द्वारा घोषित नीति का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी एवं निजी क्षेत्रों की नियुक्तियों में 75 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय युवाओं को दिया जाना है, जिसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही, अन्य राज्यों से आए ठेका मजदूरों की स्थिति की जाँच कर, अनावश्यक नियुक्तियों को समाप्त किया जाए।

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