
देवघर: श्रावणी मेला के दौरान देवघर में बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजन परंपराओं का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में सोमवार को विशेष बेलपत्री पूजा संपन्न हुई. शिवभक्तों की मान्यता है कि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और सावन में इसका अर्पण विशेष फलदायी होता है.
बैद्यनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा के प्रतिनिधि बाबा झा ने जानकारी दी कि जंगलों से लाकर 1008 बेलपत्रों पर ‘राम’ नाम लिखकर उन्हें कामना लिंग पर अर्पित किया गया. यह पूजा विश्व कल्याण और यजमानों की सुख-समृद्धि की भावना के साथ की गई.
बताया गया कि बेलपत्री पूजन की यह विशिष्ट परंपरा देवघर के महान संत बम-बम बाबा ब्रह्मचारी द्वारा प्रारंभ की गई थी. उन्होंने घने जंगलों से बेलपत्र लाकर विशेष पूजन आरंभ किया था. तब से यह परंपरा तीर्थपुरोहितों द्वारा नियमित रूप से निभाई जाती रही है.
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तीर्थपुरोहित सावधानीपूर्वक घने जंगलों से विशुद्ध बेलपत्र लाकर उसका विधिवत पूजन करते हैं. इन पत्तियों पर ‘राम’ नाम अंकित करने की परंपरा का भी विशेष आध्यात्मिक महत्व है, जो शिव और राम के अद्वैत भाव को दर्शाता है.
पुराणों के अनुसार, बेलपत्र त्रिपत्र होता है जो शिव के त्रिनेत्र, त्रिगुण और त्रिलोक भाव को दर्शाता है. शिव को यह पत्र इतना प्रिय है कि इसके अर्पण से भक्तों को पाप से मुक्ति और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
सावन में बाबा बैद्यनाथ पर बेलपत्र अर्पित करने की यह परंपरा आस्था, सेवा और अध्यात्म का अद्वितीय संगम है. यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही एक ऐसी लोक-परंपरा है, जो पीढ़ियों को जोड़ती है.
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