
जादूगोड़ा : पोटका में विकास के बड़े-बड़े दावे जनप्रतिनिधि भले ही कर रहे है लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। जिसका जीता जागता उदाहरण है पोटका प्रखण्ड अंतर्गत माटकू पंचायत का सालखुडीह टोला । यहां पर विकास से अनदेखी को लेकर 50 संथाल परिवारों ने झारखंड सीजर के खिलाफ प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया । सभी ने झारखंड सरकार से सड़क समेत बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की मांग की। बताते चले कि इस गांव में विकास की किरणे झारखंड अलग राज्य के 24 साल बाद भी नहीं पहुंची।
संथाल परिवार आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित
यहां के ग्रामीण सम्राट बास्के, जगन्नाथ मुर्मू, भागीरथी बास्के ,कहते है गांव में आज तक कोई सांसद _ विधायक आज तक नहीं पहुंचा। चलने के लिए कीचड़युक्त सड़क ।यहां से प्रखण्ड कार्यालय 10 किलो दूर है।बरसात के मौसम में ग्रामीण बीमार पड़ने पर करीबन एक किलोमीटर कंधे में लाद कर कीचड़युक्त रास्ते मरीज को रागा मटियातक लाना पड़ता है। तब जाकर पोटका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज की इलाज संभव होता है। गांव में कोई वाहन नहीं आता।प्रधानमंत्री आवास से यहां के 10 संथाल परिवार आज भी वंचित है।स्कूल के लिए बच्चों की तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। बरसात में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है।
पानी के लिए यहां के लोग तरस रहे है
कीचड़युक्त सड़क की वजह से बच्चे बरसात के दिनों में स्कूल हो जाते है। गांव में आंगनवाड़ी तक नहीं है। टाटा स्टील के तालाब से ग्रामीण स्नान करते है यही उनकी जीवन रेखा है। इस बाबत जेएलकेएल नेता सह गांव के पूर्व मुखिया भागीरथी हांसदा कहते हुआ कि बरसात में यह गांव टापू बन जाता है। यहां 10 संथाली परिवार रहते है।
गांव के विकास के लिए कौन आएगा आगे?
देश आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन विकास से अछूता यह गांव आज भी बुनियादी जरूरतों से जूझ रही है। उनके मुखिया कार्यकाल के दौरान ही गांव में बिजली ,जलमीनार व दो सौ फीट सड़क बन सकी । बहरहाल देखना है कि क्षेत्र के विधायक या सांसद को कब इस गांव पर उनकी नजरे पड़ती है व विकास से अछूता यह गांव विकास के राह पर चल पाता है यह देखने वाली बात होगी.
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