जमशेदपुर: नालसा और झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) जमशेदपुर ने गुरुवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया। यह अभियान 15 से 19 सितंबर तक चलने वाले स्पेशल मध्यस्थता ड्राइव का हिस्सा है।
डालसा की मोबाइल वैन से लोगों को बताया गया कि विवादों का समाधान अब अदालत के लंबे चक्कर लगाए बिना भी संभव है। पीएलवी नागेन्द्र कुमार, दिलीप जायसवाल और जोबा रानी बास्के ने समझाया कि मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पक्षकार स्वयं बातचीत से समाधान निकालते हैं और उस पर सहमति जताते हैं। समझौते की शर्तें वही तय करते हैं और एक बार हस्ताक्षर होने के बाद वह कानूनी रूप से मान्य हो जाता है।
क्यों खास है मध्यस्थता?
विवाद का त्वरित और सस्ता समाधान
अदालत जैसी औपचारिक प्रक्रिया से मुक्त
बातचीत पूरी तरह गोपनीय और निष्पक्ष
रिश्तों में सुधार की संभावना
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध
समझौते पर सहमति होने पर वह डिक्री की तरह बाध्यकारी
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मध्यस्थता की प्रक्रिया
अदालत किसी मामले को मध्यस्थता केंद्र भेज सकती है।
मध्यस्थ दोनों पक्षों से अलग-अलग भी बातचीत कर उनकी स्थिति समझते हैं।
विवादित बिंदुओं को सहज भाषा में रखकर बीच का रास्ता सुझाया जाता है।
सहमति बनने पर समझौता लिखित होता है और उस पर हस्ताक्षर के बाद यह कानूनी रूप से लागू हो जाता है।
कौन जा सकता है मध्यस्थता केंद्र?
कोई भी व्यक्ति, संस्था या समूह जिनके बीच विवाद हो, वे जा सकते हैं। खासकर –
वाणिज्यिक और उपभोक्ता विवाद
पारिवारिक और वैवाहिक मामले
अनुबंध, भुगतान और चेक बाउंस
रोजगार, कार्यस्थल या संपत्ति विवाद
प्रसारण और दूरसंचार से जुड़े झगड़े
इसके लिए अदालत से संबद्ध मध्यस्थता केंद्र या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) से संपर्क किया जा सकता है। मुकदमे के दौरान भी दोनों पक्ष अगर चाहें तो अदालत से मध्यस्थता के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
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