
झाड़ग्राम: झाड़ग्राम जिला के बिनपुर प्रखंड अंतर्गत कुई ग्राम में सोमवार को ऐतिहासिक एवं प्राचीन माता ओलाई चंडी पूजा का शुभारंभ कलश स्थापना के साथ विधिवत रूप से हुआ। लगभग 500 श्रद्धालु कलश यात्रा में भाग लेकर गांव के निकट स्थित पवित्र तालाब से घट लेकर पूजा स्थल तक पहुंचे।
श्रद्धा से सराबोर दृश्य
श्रद्धालुओं ने तालाब में स्नान कर नंगे पांव दंडवत प्रणाम करते हुए चिलचिलाती धूप में पूजा स्थल की ओर प्रस्थान किया। भीषण गर्मी और उमस के बावजूद माता के दर्शन हेतु भक्तगण डटे रहे। मान्यता है कि यहां सच्चे हृदय से मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। श्रद्धालुओं ने मां को पुष्पांजलि अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की।
बलि प्रथा और मान्यता
यहां भक्तगण परंपरागत रूप से बकरे की बलि भी अर्पित करते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार मां चंडी की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और संकट दूर होते हैं।
देशभर से उमड़ती है भीड़
इस पावन अवसर पर न केवल झाड़ग्राम या आसपास के जिले बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। पूजा उत्सव के दौरान पांच दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
इतिहास जो आज भी जीवंत है
कुई ओलाई चंडी पूजा कमेटी के अध्यक्ष प्रलय कुमार सिंघा ने बताया कि यह 161वां पूजन उत्सव है। इसकी शुरुआत सन 1865 में हुई थी जब कुई गांव में हैजे (विषूचिका) महामारी ने विकराल रूप ले लिया था। उस कठिन समय में एक जटाधारी सन्यासी के मार्गदर्शन में गांववासियों ने ओलाई चंडी माता की पूजा आरंभ की। देवी की कृपा से महामारी का प्रकोप समाप्त हुआ और गांव में पुनः जीवन लौट आया। तभी से प्रत्येक वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के दिन यह पूजा आयोजित की जाती है।
संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम
यह उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। जहां जनश्रुति और अनुभव का अद्भुत समागम होता है। यहां के मेले और कार्यक्रम स्थानीय जीवन में उत्साह और सौहार्द का संचार करते हैं।
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