
रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले ही दिन एसआईआर (Special Investigation Request) को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए. सदन में कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस हुई और पूरे दिन राजनीतिक गर्माहट बनी रही.
कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह ने भाजपा पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने एसआईआर जैसे गंभीर मुद्दे को कभी प्राथमिकता नहीं दी. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि चुनाव से ठीक पहले दस्तावेजों की बाढ़ आना गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है.
वहीं, मंत्री दीपिका पांडे ने बिहार में एसआईआर लागू करने के तरीके को लेकर चिंता जताई. उन्होंने इसे केंद्र की वोट बैंक साधने की रणनीति करार दिया. दीपिका ने कहा कि ऐसी नीतियां बिना विपक्ष से सलाह लिए थोपना लोकतंत्र के खिलाफ है.
इस पर पलटवार करते हुए पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सत्ता पक्ष के विरोध को “बेतुका और बेईमानी भरा” बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास एसआईआर से जुड़ा अधिकार है और इसका उपयोग कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रहा है.
इस बहस में इरफान अंसारी, शिल्पी नेहा तिर्की और चंपई सोरेन जैसे विधायक भी शामिल हुए और अपनी-अपनी राय रखी. पूरे घटनाक्रम ने विधानसभा के माहौल को राजनीतिक रूप से गरमा दिया है. संकेत साफ हैं कि आने वाले दिनों में एसआईआर सत्र के केंद्र में बना रहेगा.
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