Chaibasa: समर्पण और सेवा की प्रतिमूर्ति थे कर्मयोगी सीताराम रूंगटा – वरीय प्रबंधक सुरेश पोद्दार

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चाईबासा: चाईबासा में वर्षों तक जनसेवा और औद्योगिक नेतृत्व की मिसाल बने कर्मयोगी सीताराम रूंगटा का जीवन समाज के वंचित वर्गों, शोषितों और निर्धनों के उत्थान को समर्पित रहा. यह विचार रूंगटा कार्यालय के वरीय प्रबंधक सुरेश पोद्दार ने सीताराम जी के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए व्यक्त किए.

सीताराम रूंगटा ने 1946 से 1950 तक चाईबासा नगर पालिका के उपाध्यक्ष और 1951 से 1989 तक चेयरमैन के रूप में कार्य किया. इस दौरान चाईबासा में बुनियादी ढांचे और नगर विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की गईं, जिनके चिह्न आज भी शहर की संरचना में स्पष्ट देखे जा सकते हैं.

उन्होंने सीताराम इलेक्ट्रोकेमिकल्स उड़ीसा लिमिटेड में एमडी के रूप में काम किया और ईस्टर्न जोन माइनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते हुए क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को नई दिशा दी. उनके नेतृत्व में बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स पटना, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, वनस्पति एसोसिएशन, और फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज जैसे संगठनों को भी पहचान मिली.

वे केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय, स्टील एंड माइंस, रेलवे और श्रम मंत्रालय में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके थे. बिहार और ओडिशा सरकारों, छोटानागपुर प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड, रांची क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट बोर्ड के भी सक्रिय सदस्य रहे.

उनकी शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय से हुई थी, जहाँ से उन्होंने 1940 में आईएमसी परीक्षा तथा बाद में बी.कॉम. (विद्यासागर कॉलेज, कोलकाता) उत्तीर्ण किया. वे रुंगटा ग्रुप के विविध खनिज व्यवसाय जैसे आयरन ओरे, मैग्नीज, क्रोमाइट, काईनाइट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, और चीनी मिट्टी के क्षेत्र में अग्रणी रहे.

वे रेड क्रॉस सोसाइटी (पश्चिम सिंहभूम) के उपाध्यक्ष, रोटरी इंटरनेशनल के पाल हैरिश फेलो और सिल्वर एलीफेंट अवार्ड से सम्मानित हो चुके थे.
उनके नेतृत्व में मांगीलाल रूंगटा स्कूल, शंभू मंदिर, राजस्थान सेवा समिति, करणी मंदिर, टाउन क्लब, मारवाड़ी हिंदी विश्वविद्यालय, स्वामी रूपानंद देश सेवा संस्थान, इत्यादि संस्थाएं समाज सेवा में सक्रिय हैं.

सीताराम जी का जन्म दिसंबर 1920 में हुआ था और 17 अप्रैल 1994 को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पिता स्वर्गीय मांगीलाल रूंगटा, एक प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी थे, जिनकी विरासत को सीताराम जी ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया.

 

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