नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान सभा, सीटू और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन का राष्ट्रीय अधिवेशन मंगलवार को नई दिल्ली के सुरजीत भवन में सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने किसानों, मजदूरों और खेत मजदूरों की एकजुटता पर जोर दिया।
अधिवेशन में सीटू महासचिव तपन सेन ने घोषणापत्र प्रस्तुत किया। इसमें तय किया गया कि आने वाले एक माह में राज्य स्तर पर प्रमुख मुद्दों की पहचान कर संयुक्त बैठकें होंगी और अक्टूबर के अंत तक जिला स्तर पर संयुक्त अभियानों की ठोस योजना बनेगी।
घोषणापत्र के अनुसार:
26 नवंबर 2025 को किसान आंदोलन की 5वीं वर्षगांठ पर जिलों में विशाल प्रदर्शन होगा।
19 जनवरी 2026 को मजदूर-किसान एकता दिवस पर व्यापक जिला स्तरीय प्रदर्शन किए जाएंगे।
स्थानीय स्तर तक साम्राज्यवाद-विरोधी अभियान चलाए जाएंगे और साम्प्रदायिकता का मुकाबला किया जाएगा।
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अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक ढावले ने कहा कि यह अधिवेशन मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकता और संघर्ष को तेज करेगा। महासचिव बिजु कृष्णन ने बेरोजगारी और भूखमरी को सबसे गंभीर समस्या बताते हुए वर्गीय एकता की जरूरत पर बल दिया।
खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव बी. बेंकट, राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राघवन और सीटू अध्यक्ष हेमलता ने भी संबोधन किया। सभी नेताओं ने कॉरपोरेट-साम्प्रदायिक गठजोड़ और लोकतंत्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ राज्यों में चुनावी स्तर तक संघर्ष का आह्वान किया।
अधिवेशन में झारखंड राज्य किसान सभा के अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा कि झारखंड की 40 प्रतिशत से ज्यादा खनिज संपदा के बावजूद राज्य गरीबी, भूख, पलायन और जबरन जमीन अधिग्रहण जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने बताया कि हाथियों के आतंक और बांध परियोजनाओं के नाम पर भी किसानों की जमीन छीनी जा रही है।
सुफल महतो ने स्पष्ट कहा कि किसान-मजदूरों की एकता ही झारखंड को बचा सकती है। राज्य स्तर पर सीटू, किसान सभा और खेत मजदूर यूनियन मिलकर गांव-गांव में आंदोलन खड़ा करेंगे। इस अवसर पर झारखंड से सुफल महतो, संयुक्त सचिव असिम सरकार, राज्य किसान कौंसिल सदस्य मदुवा कच्छप, विसमबर महतो और सीटू राज्य सचिव संजय पासवान प्रतिनिधि के रूप में मौजूद थे।
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