
मुरी: देशव्यापी आम हड़ताल के समर्थन में किसान सभा और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर झारखंड के किसान कल सड़कों पर उतरेंगे। यह हड़ताल शांतिपूर्ण होगी, लेकिन इसकी मांगें स्पष्ट, ठोस और जमीनी हैं। किसान हल और कुदाल लेकर जी.टी. रोड, उच्च राजपथ, राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों पर मार्च करेंगे।
मांगों की फेहरिस्त – क्या बदलेगी किसानों की किस्मत?
इस हड़ताल के केंद्र में किसानों की पुरानी और मौलिक मांगें हैं, जो आज भी अधूरी हैं:
एमएसपी की कानूनी गारंटी
किसानों का पूर्ण कर्ज माफ
वन पट्टा अधिकार का हक दिलाना
मनरेगा के तहत 200 दिन काम और 600 रुपए दैनिक मजदूरी
बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण पर लगाम
जबरन भूमि अधिग्रहण और जबरन विस्थापन पर पूर्ण रोक
झारखंड में हाथियों के हमलों से सुरक्षा की ठोस व्यवस्था
केंद्र की किसान विरोधी कृषि बाजार नीति की वापसी
सभी के लिए भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा की गारंटी
हर नागरिक को न्यूनतम ₹26,000 मासिक सहायता
किसान आत्महत्याओं को रोकने के लिए ठोस रणनीति
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान अपने परंपरागत उपकरणों – हल, कुदाल और फावड़ा – को प्रतीक बनाकर सरकार को यह संदेश देंगे कि जब तक अन्नदाता की पीड़ा नहीं सुनी जाती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन पूर्णतः शांतिपूर्ण रहेगा। इसका उद्देश्य केवल बाधाएं खड़ी करना नहीं, बल्कि देश को यह याद दिलाना है कि खेत और खलिहान आज भी देश की रीढ़ हैं। किसानों की मांगें न तो कोई राजनीतिक स्टंट हैं और न ही तात्कालिक। यह संघर्ष उनकी आर्थिक सुरक्षा, आत्मसम्मान और भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों से जुड़ा है।
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