
पटना: बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार सरकार आम जनता को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। राज्य सरकार 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की योजना को अंतिम रूप दे रही है। ऊर्जा विभाग द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव को वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है, अब केवल कैबिनेट की स्वीकृति शेष है।
अगर यह योजना लागू होती है, तो राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने ₹700 से ₹800 तक की बचत हो सकती है। योजना को लागू करने के लिए सरकार को अतिरिक्त ₹5000 करोड़ खर्च करने होंगे। वर्तमान में बिहार सरकार बिजली सब्सिडी पर ₹15,000 करोड़ से अधिक खर्च कर रही है।
जानकारों का मानना है कि यह कदम विपक्ष के उस वादे का जवाब है, जिसमें 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात कही गई थी। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “नीतीश कुमार के शासन से पहले बिहार के घरों में लालटेन जलती थी, आज हर घर में बिजली है। फ्री बिजली का जो भी निर्णय होगा, वह राज्य की जनता के हित में होगा। विपक्ष को अगर इतनी तकलीफ है तो वे अपने घर की बिजली कटवाकर लालटेन जला लें।”
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बिजली से पहले भी हुए कई चुनावी फैसले
चुनावी वर्ष में नीतीश सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं—
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 किया गया।
- जीविका दीदियों के मानदेय में बढ़ोतरी की गई।
- त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय भी बढ़ाया गया।
- महिलाओं के 35% आरक्षण में डोमिसाइल नीति लागू की गई।
वित्त विभाग ने प्रस्ताव को न केवल मंजूरी दी है, बल्कि इससे राज्य सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय भार का विश्लेषण भी कर लिया है। इसके आधार पर अब जल्द ही योजना को कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जहां से अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह योजना शहरी और ग्रामीण, दोनों वर्गों में सरकार की लोकप्रियता को बढ़ा सकती है। हालांकि विपक्ष इसे केवल चुनावी लॉलीपॉप करार दे रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बिजली योजना राज्य की राजनीति को किस दिशा में मोड़ती है।
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