पटना: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने रविवार को प्रशांत किशोर की अगुवाई वाले जन सुराज में शामिल होकर अपनी पार्टी ‘आसा’ का उसमें विलय कर दिया. यह निर्णय बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ माना जा रहा है, खासकर तब जब वे भाजपा से किनारे हो चुके थे.
भाजपा और जदयू दोनों से अलग, अब पीके की पारी में
आरसीपी सिंह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाते थे और जदयू के संगठन को खड़ा करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. लेकिन जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन किया, तो जदयू ने उनसे दूरी बना ली. बाद में भाजपा से भी वे उपेक्षित रहे. इस राजनीतिक अकेलेपन में प्रशांत किशोर ने उन्हें अपने साथ जोड़ा. माना जा रहा है कि संगठन क्षमता के चलते आरसीपी को जन सुराज में अहम भूमिका दी जा सकती है.
मीडिया से बोले आरसीपी सिंह, नीतीश के पुराने साथियों को दी खुली दावत
पत्रकारों से बातचीत में आरसीपी सिंह ने कहा, “मैंने अपनी पार्टी ‘आसा’ (आप सब की आवाज़) का जन सुराज में विलय कर दिया है. मैं प्रशांत किशोर का आभार व्यक्त करता हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा करूंगा, लेकिन शायद ऊपरवाले को यही मंजूर था.”
उन्होंने जदयू के पुराने साथियों से अपील की, “जो लोग नीतीश कुमार की असली सोच से जुड़े थे, वे अब हमारे साथ आएं. अब जदयू में राजनीति और जनसेवा का कोई उद्देश्य नहीं बचा है.”
‘आसा’ की शुरुआत और उसका संक्षिप्त सफर
31 अक्टूबर 2024 को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी ‘आसा’ की घोषणा की थी. उन्होंने इसे ‘आप सबकी आवाज़’ कहा था. पार्टी का झंडा हरा, पीला और नीला रंग लिए हुए था. उन्होंने दावा किया था कि 140 उम्मीदवार उनके संगठन के साथ चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
आरसीपी ने तब प्रधानमंत्री मोदी का भी आभार जताया था और पार्टी को प्रखंड से राज्य स्तर तक मजबूत बनाने का दावा किया था. लेकिन अब ‘आसा’ का अस्तित्व समाप्त कर वे जन सुराज के साथ नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं.
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