
सरायकेला: सरायकेला प्रखंड क्षेत्र में लगातार मूसलाधार बारिश ने सब्जी की खेती को गहरा नुकसान पहुंचाया है. खेतों और बागवानी क्षेत्रों में अत्यधिक जलभराव के कारण सब्जी के पौधे गल गए हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आई है. इसका सीधा असर बाजार में सब्जियों की उपलब्धता और कीमतों पर देखने को मिल रहा है.
बाजार में सब्जियों की कीमतें छू रहीं आसमान
स्थानीय डेली मार्केट सरायकेला में बुधवार को सब्जियों के भाव इस प्रकार रहे:
पटल: ₹40 प्रति किलो
झींगा: ₹60
बांधा गोभी: ₹40
टमाटर: ₹60
बरबटी: ₹80
मोरिंगा (सहजन): ₹160
लौकी: ₹60 प्रति किलो या ₹40 प्रति पीस
करेला: ₹60
इन बढ़ते दामों ने गरीब और सामान्य वर्ग के लोगों की थाली से सब्जियों को गायब कर दिया है.
स्कूलों में बच्चों के लिए संचालित मध्याह्न भोजन योजना भी इस महंगाई की चपेट में आ गई है. सब्जियों की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि से योजना का बजट गड़बड़ा गया है, जिससे बच्चों के पोषण पर भी असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है.
केवल उपभोक्ता ही नहीं, किसान भी संकट में हैं. बारिश के कारण फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जा रही है. कई किसान इस बार की पूरी सब्जी की फसल बर्बाद होने की बात कह रहे हैं.
स्थानीय सब्जी विक्रेता धनपति महतो के अनुसार, “भारी बारिश की वजह से ग्रामीण किसानों की सब्जियों की आवक बंद हो गई है, जिससे अब दूसरे शहरों की मंडियों से सब्जी मंगानी पड़ रही है. इससे परिवहन और खरीद लागत बढ़ गई है, जो सीधे आम उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बन रही है.”
यह स्थिति सिर्फ प्राकृतिक आपदा का असर नहीं, बल्कि कृषि आपूर्ति श्रृंखला की असंतुलन को भी उजागर करती है. सवाल यह भी उठता है कि क्या सरकार आपदा राहत और मूल्य नियंत्रण के लिए कोई ठोस पहल करेगी? और कब तक गरीबों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी?
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