
पोटका: पोटका क्षेत्र के जेएलकेएम नेता भागीरथी हांसदा ने झारखंड सरकार की शराब नीति को जनविरोधी करार देते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार की मौजूदा शराब नीति से गांव और आदिवासी समाज बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि हंड़िया और दारू के कारण ग्रामीण परिवार टूट रहे हैं, सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है और युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आकर अपना भविष्य गंवा रही है. यदि यही नीति आगे भी जारी रही, तो गांव विकास की मुख्यधारा से कटकर रह जाएंगे.
अनुसूचित क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी की मांग
हांसदा ने स्पष्ट कहा कि पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी लागू होनी चाहिए. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब संविधान आदिवासी क्षेत्रों को विशेष संरक्षण देता है, तो फिर ऐसी नीति क्यों जो उनके अस्तित्व को ही संकट में डाल दे? उन्होंने यह भी कहा कि यदि झारखंड सरकार वास्तव में ग्राम सभा को सशक्त करना चाहती है, तो बिना देरी के पेसा कानून लागू किया जाए. इस कानून के लागू होते ही ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों, भूमि, जल और सामाजिक निर्णयों पर स्वायत्त अधिकार प्राप्त हो जाएगा. भागीरथी हांसदा ने जोर देते हुए कहा कि आज झारखंड की आत्मा गांवों में बसती है. अगर गांव ही नष्ट हो जाएंगे, तो झारखंड की अस्मिता भी खो जाएगी. उन्होंने कहा कि पेसा कानून के जरिए ही झारखंड और झारखंडी समाज को समृद्ध किया जा सकता है.
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