सरायकेला: चांडिल डेम से विस्थापित हेवेन गांव के ग्रामीण अब भी अपने हक के मुआवजे के पैसे से वंचित हैं। रविवार को उन्होंने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के केंद्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक प्रत्याशी तरुण महतो को गांव बुलाकर अपनी समस्या बताई और लिखित ज्ञापन सौंपा।
ग्रामीणों ने बताया कि विस्थापन के समय 2004 में जो मुआवजा चेक के रूप में मिला था, उसे स्थानीय सहकारी समिति (लैंप्स) में जमा किया गया था। तय नियम के अनुसार 3 साल बाद राशि वापस मिलनी थी, लेकिन 20 साल बीतने के बाद भी उन्हें पैसा नहीं मिला।
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उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार विधायक, मंत्री और अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि हाईकोर्ट ने पैसा लौटाने का आदेश दिया, लेकिन लैंप्स अधिकारियों और उच्च पदाधिकारियों ने आदेश की भी अनदेखी कर दी। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कुछ बिचौलियों ने पैसा दिलाने के नाम पर उनसे वसूली की और बाद में धोखा दिया।
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तरुण महतो ने ग्रामीणों की आपबीती सुनकर कहा—
“मैं भी विस्थापित परिवार से आता हूं, इसलिए आपका दर्द समझ सकता हूं। आपके बेटे की तरह आपके साथ खड़ा हूं। यदि अधिकारियों ने जल्द समाधान नहीं किया तो यह मुद्दा पार्टी सुप्रीमो टाइगर जयराम महतो और विधानसभा तक ले जाया जाएगा।”
उन्होंने आश्वासन दिया कि JLKM पार्टी विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
बैठक में चुनी राम मंडल, संजय बेसरा, खुदीराम गोप, उत्तम मंडल, बबलू मांझी, टनु मांझी, सागर गोप, स्वपन गोप, ममता महतो, सोमीत, पंकज मांझी, सुभाष मांझी सहित बड़ी संख्या में विस्थापित ग्रामीण मौजूद रहे।
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