
जमशेदपुर: पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चाकुलिया प्रखंड में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामलों को लेकर तीखा हमला बोला है. उन्होंने इसे एक रणनीतिक योजना का हिस्सा बताया, जो राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना को प्रभावित करने के उद्देश्य से की जा रही है.
उन्होंने कहा कि शहरों में लोगों के आने और बसने के कारण जन्म प्रमाण पत्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी स्वाभाविक होती है, लेकिन चाकुलिया जैसे ग्रामीण क्षेत्र में अचानक दस्तावेज़ों की बाढ़ यह दर्शाती है कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश है.
बालीजुड़ी पंचायत में मैया सम्मान योजना में अनियमितता का आरोप
मरांडी ने खुलासा किया कि चाकुलिया के बालीजुड़ी पंचायत, जो आदिवासी बहुल इलाका है, वहां एक मुस्लिम महिला को ‘मैया सम्मान योजना’ का लाभ दिया गया जबकि इस पंचायत में मुस्लिम परिवारों की उपस्थिति ही नहीं है. उन्होंने इसे योजनाओं का दुरुपयोग और समुदाय विशेष को लाभ पहुंचाने का प्रयास बताया.
योजनाबद्ध तरीके से बदल रही राज्य की जनसंख्या
मरांडी ने भारत की जनगणना के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि 1951 से लेकर 2011 तक आदिवासी और सनातनी आबादी में गिरावट आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में तेज़ी से वृद्धि हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों और अवैध घुसपैठ के जरिए इस जनसंख्या संतुलन को बदला जा रहा है.
उन्होंने चेताया कि बांग्लादेश से घुसपैठिए पहले पश्चिम बंगाल में प्रवेश करते हैं और फिर झारखंड जैसे राज्यों में पहुँच रहे हैं.
अवैध दस्तावेज़ों पर बन रहे आधार और योजना लाभार्थी
मरांडी ने आरोप लगाया कि साहेबगंज, राजमहल, उदवा जैसे जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों को दस्तावेज़ देकर योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. उन्होंने इसे झारखंड को ‘धर्मशाला’ बना देने की साजिश करार दिया.
शराब घोटाले में सीबीआई जाँच से बचने की रणनीति
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में 2022 से शराब घोटाले की शुरुआत हुई. उन्होंने खुद 19 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर घोटाले की आशंका जताई थी. जब छत्तीसगढ़ में इस घोटाले की परतें खुलीं तो वहाँ की सरकार ने सीबीआई जांच शुरू कर दी.
मरांडी का कहना है कि झारखंड में इसी जांच से बचने के लिए एसीबी के माध्यम से दिखावटी कार्रवाई की जा रही है. आईएएस अधिकारी विनय चौबे की गिरफ़्तारी इसी का हिस्सा है.
झारखंड में एसीबी और डीजीपी की वैधता पर उठाए सवाल
मरांडी ने कहा कि राज्य में इस समय स्थायी डीजीपी नहीं है और एसीबी के डीजी के तौर पर वही अधिकारी कार्यरत हैं जिनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है. यह असंवैधानिक स्थिति राज्य की भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई को कमजोर कर रही है.
उन्होंने आरोप लगाया कि जब ईडी की जांच में दो सीओ गवाह बने तो झारखंड सरकार ने उन्हें डराने के लिए छापेमारी की, ताकि सीबीआई की जांच में बाधा उत्पन्न हो सके.
एमजीएम अस्पताल की बदहाली पर भी जताई चिंता
बाबूलाल मरांडी ने कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम की दुर्दशा पर भी राज्य सरकार को घेरा. उन्होंने मांग की कि इन सभी मामलों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए.
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