
चांडिल: चांडिल डैम जलाशय में नौका विहार का संचालन बिना विभागीय बंदोबस्ती के किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. आरोप है कि विस्थापितों की एक सहकारी समिति द्वारा अवैध रूप से बोटिंग चलाई जा रही है. इससे पर्यटकों की जान-माल की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल में स्थित सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के जलाशय में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु करोड़ों रुपये की लागत से बोटिंग की व्यवस्था की गई है. जलाशय के निर्माण से 84 मौजा के अंतर्गत 116 गांव के लोग विस्थापित हुए थे.
सरकारी कार्य में बाधा और समिति पर कार्रवाई
जलाशय क्षेत्र में बोट हाउस निर्माण के दौरान विस्थापित मत्स्यजीवी स्वाबलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष और सचिव पर सरकारी कार्य में अड़चन डालने का आरोप है. चांडिल अंचल पदाधिकारी ने स्थल पर पहुँच कर जांच की और समिति के सदस्यों को अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया.
20 वर्षों का संचालन, फिर भी रेवेन्यू नहीं
बताया गया कि समिति पिछले 20 वर्षों से बोट और केज कल्चर के माध्यम से पंगसिया मछली उत्पादन कर रही थी, परंतु समय पर राजस्व नहीं देने के कारण इसे ब्लैकलिस्ट कर सर्टिफिकेट केस भी दर्ज किया गया. इसके बावजूद यह समिति बिना बंदोबस्ती के नौका विहार का संचालन कर रही थी.
पर्यटकों की सुरक्षा पर सवाल
प्रति दिन हजारों की संख्या में सैलानी चांडिल डैम आते हैं. ऐसे में किसी भी दुर्घटना की स्थिति में जिम्मेदार कौन होगा? विभाग या समिति? जब कि यह स्पष्ट है कि समिति को कोई वैधानिक स्वीकृति नहीं मिली है. दिलचस्प बात यह है कि इसी जलाशय में एक अन्य समिति – चांडिल स्वर्णरेखा बाँध विस्थापित मत्स्यजीवी सहकारी समिति लिमिटेड, जिसे विभाग से वैध नवीनीकरण मिला है, लगभग 100 मीटर की दूरी पर बोटिंग संचालन कर रही है. इससे प्रशासनिक भ्रम और आपसी टकराव की स्थिति बन गई है.
मंत्री का दावा और भविष्य की योजनाएँ
पूर्व निरीक्षण के दौरान पर्यटन एवं नगर विकास मंत्री सुदीप्त कुमार सोनु ने चांडिल डैम को राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि डैम के नीचे एक रिसॉर्ट और डैम के भीतर स्थित टापुओं को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा. साथ ही, आने वाले पर्यटकों के लिए लग्जरी टेंट, कॉटेज और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
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