झाड़ग्राम: झाड़ग्राम, गोपीबल्लभपुर और आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार को प्रथमाष्टमी उत्सव धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और प्रथम संतान यानी जेष्ठ पुत्र या पुत्री की सुरक्षा, मंगल और खुशहाली के लिए आयोजित किया जाता है।
स्थानीय भाषा में इसे “पढूंआं अष्टमी” के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व न केवल बच्चों के लिए है बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संबंधों, आदर्श और अनुशासन की भावना को भी मजबूत करता है।
पर्व में परंपरा के अनुसार, मामा के घर से नए वस्त्र, धान, दुर्वा, फल, चंदन और मिष्ठान जैसे चीजें लाकर जेष्ठ संतान को भेंट की जाती हैं। इसके अलावा, हल्दी के पत्तों में लपेटकर तैयार की जाने वाली “एंडुरी पीठा” बनाई जाती है, जिसे पहले षष्ठी देवी को अर्पित किया जाता है और फिर प्रियजनों में वितरित किया जाता है।
माता-पिता और घर के बुजुर्ग बच्चों के माथे पर चंदन का टीका लगाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। घरों में नए पकवान बनाए गए, आरती और शंख ध्वनि के साथ संतान के कुशल और मंगल जीवन की कामना की गई।
हालांकि यह पर्व मुख्य रूप से उड़ीसा में मनाया जाता है, लेकिन अब बंगाल और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाने लगा है। विशेष रूप से यह पर्व सबसे बड़े बच्चे का सम्मान और परिवार में उसकी भूमिका को पहचानने का अवसर है, क्योंकि पिता के बाद परिवार की जिम्मेदारी ज्यादातर सबसे बड़े संतान पर टिकी होती है।