
जमशेदपुर: कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार ने केंद्रीय सरकार की तरह इस बार भी बजट पेश कर वकील समुदाय को निराश किया है. उन्होंने बताया कि पूरे देश के वकीलों को उम्मीद थी कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बजट में पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान करेगी और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को कानूनी रूप दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और राज्य की हेमंत सरकार भी उसी रास्ते पर चली गई. पिछले साल हेमंत सरकार ने वकीलों के पेंशन और स्कॉलरशिप के लिए राशि स्वीकृत की थी, लेकिन इस बार बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया.
सिख समुदाय के प्रति सरकार की उपेक्षा
कुलविंदर सिंह ने यह भी कहा कि पिछली कई सरकारों ने सिख समुदाय को यह आश्वासन दिया था कि पंजाबी भाषा के उत्थान और उन्नयन के लिए पंजाबी अकादमी की स्थापना की जाएगी, लेकिन वह अब तक केवल एक कल्पना बनकर रह गई है. यह सरकारी वादों की असफलता को दर्शाता है.
महिलाओं के कल्याण योजनाओं पर विचार
कुलविंदर सिंह ने सरकार की महिलाओं के लिए लागू की गई योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि मईया एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं से राज्य की महिलाओं को लाभ होगा. हालांकि, उनका मानना है कि इन योजनाओं का व्यापक प्रभाव राज्य की आर्थिक नीति पर पड़ेगा और इससे बाजार को मजबूती मिलेगी, जिससे व्यापारी वर्ग भी लाभान्वित होगा.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता
कुलविंदर सिंह ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान देना चाहिए. उनका मानना है कि प्रखंड स्तर पर कोल्ड स्टोरेज निर्माण और कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया जाना चाहिए. इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और उन्हें अपनी फसलों को सुरक्षित रखने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि टमाटर और सब्जियों की शून्य कीमतों ने किसानों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया है. इस स्थिति में उनकी लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है.
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