
जमशेदपुर: झारखंड लोकमंच के महामंत्री एवं बीएड विभाग के शिक्षक ने राज्य के बजट को अनुपयुक्त और असंतोषजनक बताया. उनका कहना था कि राज्य में प्राथमिक और उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले प्रशिक्षण महाविद्यालयों का कोई भविष्य नहीं है. कई मौजूदा प्रशिक्षण महाविद्यालयों को बंद किया जा रहा है, और सरकार ने इस संकट का समाधान करने के लिए बजट में कोई उचित प्रावधान नहीं किया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस संदर्भ में सरकार का दृष्टिकोण उत्थानकारी नहीं है.
महिला कल्याण के लिए बजट की असंवेदनशीलता
बजट में वृद्ध, विधवा और दिव्यांग महिलाओं के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक सशक्त महिला को ‘मैईया सम्मान योजना’ के तहत ₹2500 दिया जाता है, जबकि विधवा और दिव्यांग महिलाओं को ₹1000 ही मिलता है. इस असमानता को उन्होंने गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि इस तरह का बजट महिलाओं की वास्तविक आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है.
दिव्यांग आयोग की नियुक्ति का लंबित होना
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कई वर्षों से दिव्यांग आयोग की नियुक्ति नहीं की गई है, जो दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके कल्याण के लिए आवश्यक है. इसके अलावा, बजट में कोई भी प्रावधान नहीं है जो वृद्ध, विधवा और दिव्यांग समुदाय के कल्याण के लिए धरातल पर कार्यान्वित हो सके.