
रांची: गोड्डा सीट से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में देश की न्यायपालिका और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, संजीव खन्ना पर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. उनका यह बयान न केवल आलोचना का विषय बना है, बल्कि झारखंड सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता इरफान अंसारी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
इरफान अंसारी का तीखा पलटवार
झारखंड सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया पर निशिकांत दुबे के बयान का तीखा विरोध किया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “भा.ज.पा. देश को धर्म, जाति सहित कई वर्गों में विभाजित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन हम संविधान को मानने वाले उनके नफरत के मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान और न्यायपालिका की रक्षा के लिए वे हमेशा संघर्ष करेंगे.
निशिकांत दुबे पर आरोप
इरफान अंसारी ने आगे कहा कि निशिकांत दुबे जैसे लोग तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं और खुद को संविधान और न्यायपालिका से ऊपर समझते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस की हर बात प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है, और इस तरह के बयान संविधान के खिलाफ हैं.
लोकसभा से बर्खास्तगी की मांग
इरफान अंसारी ने मांग की कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें लोकसभा से बर्खास्त किया जाए. उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी संवैधानिक मूल्यों और न्यायपालिका पर सीधा प्रहार है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता.
निशिकांत दुबे का बयान और विवाद
हाल ही में, निशिकांत दुबे ने एक्स पर एक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस पर हमला बोलते हुए कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगा तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि देश में चल रहे गृहयुद्ध के लिए सीजेआई संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं, और सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है. उनका यह बयान राजनीति और समाज में विवाद का कारण बन गया.
बीजेपी ने किया बयान से किनारा
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने निशिकांत दुबे के बयान से किनारा किया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस बयान को व्यक्तिगत टिप्पणी बताते हुए कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक बयान नहीं है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बीजेपी सुप्रीम कोर्ट और संविधान का पूरा सम्मान करती है और पार्टी ने दुबे को ऐसे बयान न देने की चेतावनी दी है.
यह मामला न्यायपालिका के सम्मान और संविधान के प्रति आस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है. राजनीतिक नेताओं और जनता में इस बयान को लेकर गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है. अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और क्या बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाया जाता है.
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