
पश्चिम सिंहभूम: गुवा स्थित रेंजर कार्यालय में सेल अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों के बीच वन्य प्राणी संरक्षण से संबंधित अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में मुख्य रूप से हाथियों से निपटने की पारंपरिक व वैज्ञानिक तकनीकों और बंदरों को पुनः जंगल में भेजने के प्रयासों पर गहन चर्चा की गई।
रेजर परमानंद रजक ने इस अवसर पर कहा कि बंदरों को भोजन देना, उनसे छेड़खानी करना या उन्हें घरों में आकर्षित करने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। इससे मानव और वन्य जीवन के बीच टकराव को रोका जा सकेगा।
हाथी और बंदर: चुनौती बनते वन्य मित्र
अधिकारियों ने सुझाव दिया कि हाथियों को भगाने के लिए मशालों और पटाखों का सुरक्षित उपयोग किया जा सकता है।
बंदरों के लिए पुनर्वास अभियान चलाकर उन्हें उनके प्राकृतिक परिवेश में वापस ले जाया जाना चाहिए।
यह स्पष्ट किया गया कि इन दोनों समस्याओं से निपटने के लिए स्थानीय समुदाय को भी प्रशिक्षित और जागरूक किया जाना ज़रूरी है।
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर पर्यावरण की महत्ता पर बल
परमानंद रजक ने कहा कि हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और इसका उद्देश्य है लोगों को पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूक करना। उन्होंने कहा – “प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. पेड़-पौधे, जंगल, नदियां, झीलें, जमीन और पहाड़ – ये सब हमारे अस्तित्व की नींव हैं.”
इस अवसर पर सेल गुवा के तत्वावधान में एक कार्यशाला आयोजित करने पर भी चर्चा हुई, जिसमें वन्य जीवन संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और जंगलों को बचाने के उपायों पर स्थानीय जनता व कर्मचारियों को जागरूक किया जाएगा।
सेल के उप महाप्रबंधक डॉ. टी.सी. आनंद समेत कई अधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।
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