जादूगोड़ा : यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसील) जादूगोड़ा इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रहा है। नई परियोजनाएँ और टेलिंग डैम्स की हालत बेहद खराब है, लेकिन वरिष्ठ अफसर जिम्मेदारी से बचते हुए निजी स्वार्थ और प्रमोशन की चिंता में व्यस्त हैं।
स्थानांतरण आदेशों की अवहेलना
एस.के. बर्मन को झारखंड से बाहर तुम्मलापल्ली परियोजना भेजा गया था, लेकिन वे आदेश मानने को तैयार नहीं हैं। इसी तरह एस.के. सेनगुप्ता का तबादला रोहिल प्रोजेक्ट में हुआ था, मगर वे अब भी जादूगोड़ा में ही जमे हैं। आर.के. मिश्रा को सिविल कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे उन्होंने पहले ही छोड़ दिया है। कर्मचारियों का आरोप है कि इन अधिकारियों को यूसील के द्वितीय कमान अफसरों का संरक्षण मिला हुआ है।
कंपनी में कई अधिकारी 15–20 साल से एक ही पद पर टिके हुए हैं। जब भी ट्रांसफर की बात उठती है, ये संगठित होकर प्रबंधन पर दबाव डालते हैं और राजनीतिक पहुंच के जरिए आदेश रुकवा लेते हैं।
तेजी से प्रमोशन, जिम्मेदारी से दूरी
कई विभागों में अफसरों ने सिर्फ 3–4 साल में चीफ सुपरिटेंडेंट का पद पा लिया है, जबकि उनके पास अभी 15–18 साल की सेवा बाकी है। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे अफसर कंपनी के हितों से ज्यादा अपनी पदोन्नति की चिंता करते हैं।
पूर्व प्रबंधन का प्रयास और साजिश
पूर्व चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक डॉ. संतोष सतपति ने वर्षों से जमे 18 अफसरों का फेरबदल कर कंपनी को गति देने की कोशिश की थी। लेकिन, बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके खिलाफ साजिश रचकर उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया।
भविष्य अधर में, सख्त कदम की मांग
कर्मचारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि कंपनी की परियोजनाएँ और टेलिंग डैम्स लगातार बिगड़ती स्थिति में हैं। यदि मौजूदा सीएमडी डॉ. कंचम आनंद राव ने कठोर कदम नहीं उठाए, तो कंपनी का भविष्य अधर में लटक सकता है। लोग मांग कर रहे हैं कि जमे हुए अफसरों का तुरंत तबादला हो, ट्रांसफर पॉलिसी सख्ती से लागू की जाए और जिम्मेदार अफसरों से जवाबदेही तय की जाए।
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