
मुरी: दक्षिण पूर्व रेलवे, रांची मंडल के रेलवे इंस्टीट्यूट मुरी में करम महोत्सव की पूर्व संध्या पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह केवल पर्व का उत्सव नहीं, बल्कि सामुदायिक एकजुटता, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक रहा। कार्यक्रम की शुरुआत पहान द्वारा करम राजा की कथा और पूजा से हुई, जिसके बाद पारंपरिक कुरूख गीतों ने माहौल को आध्यात्मिक रंग दिया।
कार्यक्रम में नागपुरी गीत, झूमर नृत्य, करम गीत और आधुनिक लोकनृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोको पायलट शिबू पहान और अरुण भगत के पारंपरिक गीत “करम कर दिने आय गेलक” पर सभी झूम उठे।
मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे स्थानीय विधायक सह पूर्व खेल मंत्री अमित कुमार महतो ने कहा—
“करम महोत्सव युवा पीढ़ी को जड़ों से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। ऐसे आयोजनों से हमारी संस्कृति और परंपराएं नई पीढ़ी तक सुरक्षित पहुंचती हैं।”
कार्यक्रम में रेलवे के विभिन्न विभागों के अधिकारी, उर्सलाइन स्कूल की प्रिंसिपल सरिता बोदरा, चर्च के फादर, हिंडाल्को लिमिटेड से प्रतिनिधि, स्थानीय जनप्रतिनिधि और कई सामाजिक संगठनों के सदस्य मौजूद रहे।
एसटी-एससी एसोसिएशन के डिविजनल सेक्रेट्री विनोद उरांव ने कहा—
“करम पर्व हमारी आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह भाईचारे और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करता है।”
इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में अध्यक्ष एम.एल. मांझी, महासचिव आर. खेस, कोषाध्यक्ष कृष्णा सांगा और रेलवे आदिवासी परिवार मुरी शाखा के जुझारू कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही। मंच संचालन सुबोध मिंज, निरंजन बाघवार और जगदीप गांझू ने किया।
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