
जमशेदपुर: टाटानगर रेलवे स्टेशन पर रेल प्रशासन की लापरवाही का एक दर्दनाक उदाहरण सामने आया है, जिसमें एक लोको पायलट मोहम्मद ऐहतशामुउद्ईन गंभीर रूप से घायल हो गए। सोमवार देर रात लगभग 1 बजे वे लोको का चार्ज देकर लौट रहे थे, तभी यार्ड में शंटिंग कर रही टाटा-एर्नाकुलम रैक की चपेट में आ गए।
धक्के से गिरे, चक्का चढ़ने से पैर हुआ जख्मी
लोको पायलट को रैक का धक्का लगते ही वे नीचे गिर पड़े और उनका बायां पैर ट्रेन के चक्के की चपेट में आ गया। हादसे के वक्त उनके साथ चल रहे सहायक लोको पायलट गणेश कुमार बाल-बाल बच गए। गंभीर स्थिति में घायल पायलट को टाटा मोटर्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें टीएमएच (टाटा मेन हॉस्पिटल) रेफर किया गया। इलाज के दौरान उनका एक पैर काटना पड़ा।
ऑपरेटिंग विभाग की लापरवाही पर फूटा गुस्सा
घटना के बाद लोको पायलटों में जबरदस्त आक्रोश देखा गया। उनका कहना है कि पूर्व के हादसों के बाद शंटिंग ट्रेन के पीछे ऑडियो अलार्म लगाने का निर्देश दिया गया था ताकि पीछे से आ रही ट्रेन की आवाज़ अंधेरे में भी सुनाई दे सके। लेकिन यह अलार्म कुछ दिनों बाद हटा दिया गया, जिसकी वजह से यह दुर्घटना हुई।
लोको पायलटों का आरोप है कि यदि अलार्म व्यवस्था चालू रहती तो हादसा टल सकता था।
रेलवे मेंस यूनियन ने जताया आक्रोश, जांच की मांग
रेलवे मेंस यूनियन के मंडल संयोजक एम. के. सिंह ने घटना पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यूनियन का प्रतिनिधिमंडल क्षेत्रीय प्रबंधक से मिलकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करेगा। उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना पूरी तरह से लापरवाही का परिणाम है, और सेफ्टी नियमों की अवहेलना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सेफ्टी सिस्टम पर सवाल, लोको पायलटों में भय का माहौल
यह हादसा एक बार फिर रेलवे के सेफ्टी सिस्टम की पोल खोलता है। इस घटना के बाद लोको पायलटों के बीच भय और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। अब ज़रूरत है कि रेलवे सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दे और सिर्फ़ काग़जों पर नहीं, जमीनी स्तर पर उनका पालन सुनिश्चित करे।
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