
देवघर: बंपास टाउन मोहल्ला निवासी और स्वयंसेवी संस्था सेवार्थ के अध्यक्ष पवन टमकोरिया पर यौन उत्पीड़न का आरोप उनकी ही संस्था की एक महिला पदाधिकारी ने लगाया है. पीड़िता ने नगर थाना में मामला दर्ज कराया है और स्पष्ट किया है कि यह उत्पीड़न बीते 6-7 महीने से लगातार हो रहा था. पीड़िता ने बताया कि पवन टमकोरिया उसे प्रत्येक सुबह अश्लील संदेश भेजते थे और अनैतिक संबंध बनाने का दवाब डालते थे. जब वह इसका विरोध करती, तो उनके द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता. महिला का कहना है कि उन्हें फोन कॉल्स और आपत्तिजनक मैसेज के माध्यम से परेशान किया गया और ब्लैकमेल करने की भी कोशिश की गई. इस सिलसिले में पीड़िता ने सभी साक्ष्य नगर थाना को सौंपे, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
टमकोरिया का पक्ष: “ब्लैकमेलिंग की साजिश”
वहीं, पवन टमकोरिया ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और झूठा बताया है. उनका कहना है कि पीड़िता उन्हें पैसों के लिए ब्लैकमेल कर रही थी और जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तब झूठा केस दर्ज कर दिया गया.
टमकोरिया ने कहा, “मैं वर्षों से समाजसेवा से जुड़ा हूं, मुझ पर कभी कोई दाग नहीं लगा. इस मामले ने मुझे मानसिक रूप से तोड़ दिया है. मैंने भावना में आकर उसे कुछ मैसेज भेज दिए थे, जिनका वह स्क्रीनशॉट दिखाकर मुझे फंसा रही है.”
देवघर नगर थाना पुलिस ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत छानबीन की जा रही है. महिला द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की जांच हो रही है और दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं.
क्या समाजसेवा के नाम पर छुपे हैं अंधेरे सच?
इस प्रकरण ने स्वयंसेवी संगठनों की आंतरिक संरचना और कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. जहां एक ओर संस्थाएं समाज के हित में काम करती हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के आरोप यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या कहीं समाजसेवा की छवि का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा?
जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि सच्चाई किसके पक्ष में है. फिलहाल देवघर का यह मामला सामाजिक और कानूनी दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बना हुआ है.
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