
देवघर: साहित्य समागम भारत के तत्वावधान में देवघर के एक होटल में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन “काव्याभिषेक” का भव्य आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. संजय कुमार ने किया. मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में समस्तीपुर के प्रख्यात कवि हरि नारायण सिंह ‘हरि’ उपस्थित थे.
साहित्य रचना एक साधना है: हरि नारायण
मुख्य अतिथि हरि नारायण सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि “साहित्य साधना चाहता है. केवल लेखन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और निरंतर अभ्यास से ही श्रेष्ठ साहित्य का सृजन संभव है. बिना साधना के रचना बेनाम हो जाती है.”
साहित्य: भावनाओं की अभिव्यक्ति का स्वर
विशिष्ट अतिथि डॉ. सुमनलता ने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का समुच्चय नहीं, बल्कि भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है. यह आत्मा की भाषा होती है. उद्घाटनकर्ता डॉ. संजय कुमार ने देवघर की साहित्यिक परंपरा की प्रशंसा करते हुए कहा कि “यह भूमि साहित्यिक दृष्टि से अत्यंत उर्वर है. यहाँ से लघु भारत की झलक मिलती है.”
पूर्वी भारत के कवियों का मिला संगम
इस कवि सम्मेलन में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कवियों व साहित्यकारों ने भाग लिया. कार्यक्रम में सरयुग पंडित सौम्य, अजय प्रसाद, सोनम झा, ओम प्रकाश मंडल, सविता धर, इंद्र नारायण राय, फाल्गुनी मरीक कुशवाहा, राजकुमार शर्मा, मोहम्मद फिरोज, डॉ. प्रीति, विवेक मंडल, गणेश उमर और प्रकाश यादव जैसे अनेक साहित्यकारों की उपस्थिति रही.
सम्मेलन का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय संयोजक रवि शंकर साह ने सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया. आयोजन में संरक्षक अनिल कुमार झा, प्रो. रामनंदन सिंह और शिव कुमार सुमन की भी सक्रिय भागीदारी रही.
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