
नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की 2025 की वर्ल्डवाइड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट में यह उजागर किया गया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की क्षमताओं को उन्नत करने में चीन की सहायता से सक्रिय रूप से जुटा है. रिपोर्ट के अनुसार, इस सहयोग से पाकिस्तान की सैन्य शक्ति और तकनीकी संरचना में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है.
भारत को मानता है अस्तित्व का खतरा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए मुख्य खतरा मानता है. इसी धारणा के चलते वह अपने परमाणु जखीरे को और अधिक उन्नत बनाने तथा युद्ध की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने योग्य बनाने पर जोर दे रहा है.
परमाणु रणनीति में तेजी और चीन की भूमिका
चीन द्वारा पाकिस्तान को आधुनिक हथियार प्रणाली, परमाणु तकनीक और सैन्य बुनियादी ढांचे में सहायता दी जा रही है. यह समर्थन पाकिस्तान की रक्षा नीति की रीढ़ बन चुका है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सहयोग न केवल पाकिस्तान की सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है, बल्कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है.
170 परमाणु हथियारों के साथ जवाबी हमले की तैयारी
वर्तमान में पाकिस्तान के पास अनुमानतः 170 परमाणु हथियार हैं. रिपोर्ट बताती है कि वह इन हथियारों को त्वरित जवाबी हमले के लिए तैयार रखने की नीति अपना रहा है. इससे यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान किसी भी सैन्य संकट की स्थिति में परमाणु विकल्प का उपयोग कर सकता है.
भारत की प्रतिक्रिया और रणनीतिक चेतावनी
हाल के घटनाक्रमों — जैसे ऑपरेशन ‘सिंदूर’ — में भारत ने पाकिस्तान की कथित परमाणु ब्लैकमेलिंग का कड़ा प्रतिकार किया है. इस संदर्भ में DIA की यह रिपोर्ट भारत के लिए रणनीतिक संकेत है कि परमाणु संतुलन के खेल में चीन की भागीदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
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