
जादूगोड़ा: यूरैनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसिल) के बिजली विभाग में कार्यरत कर्मचारी अरुण कुमार बर्मा का मामला अब गंभीर रूप लेता जा रहा है. बर्मा ने यूसिल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक डॉ. एस.के. सतपति को पत्र लिखकर अपने निलंबन को फर्जी बताते हुए न्याय की गुहार लगाई है.
घटना 8 अक्टूबर 2024 की है, जब काम के दौरान उनके ही विभाग के एक सहकर्मी से विवाद हुआ. बर्मा का आरोप है कि उक्त कर्मी ने खुद को नुकसान पहुंचाकर उनके खिलाफ झूठी रिपोर्ट तैयार करवाई, जिसके आधार पर बिना जांच, मेमो या चार्जशीट के उन्हें निलंबित कर दिया गया.
8 अक्टूबर से 5 नवंबर तक यानी कुल 23 दिनों के लिए निलंबन झेलने के बाद जब सच्चाई सामने आई, तो बर्मा को ड्यूटी पर वापस बुला लिया गया. लेकिन इस दौरान उन्हें लगभग 60 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ.
बर्मा ने अपने पत्र में मांग की है कि उन्हें फर्जी आरोपों से मुक्त किया जाए और निलंबन अवधि की पूरी राशि लौटाई जाए. साथ ही उन्होंने विभाग में ओवरटाइम घोटाले की ओर भी इशारा किया है. उनके अनुसार, अधिकारियों द्वारा ओवरटाइम के बदले कथित तौर पर कमीशन लिया जाता रहा है.
बर्मा का कहना है कि जब उन्होंने इस घोटाले को रोकने की कोशिश की, तो प्रतिशोध में उन्हें फंसाने का प्रयास किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी सह डिप्टी मैनेजर (जादूगोड़ा माइंस) एम.के. साहू लगातार समझौते का दबाव बना रहे हैं ताकि मामला शांत कर दिया जाए.
पत्र में उन्होंने साफ कर दिया है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वह चाईबासा कोर्ट का रुख करेंगे.
अब निगाहें यूसिल के सीएमडी डॉ. सतपति पर टिकी हैं कि वे इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेंगे या फिर मौन रहकर एक कर्मी के साथ हुए अन्याय को अनदेखा करेंगे.
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