
जमशेदपुर : पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र की रक्षा के संकल्प के साथ आज पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के अगुवाओं एवं जनप्रतिनिधियों की एक अहम बैठक संपन्न हुई. सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 10 जून 2025 को, पूर्वाह्न 11:30 बजे, उपायुक्त कार्यालय, जमशेदपुर के समक्ष एकदिवसीय धरना व विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा.
तीन प्रमुख मांगों को लेकर होगा विरोध
इस जनआंदोलन का केंद्र बिंदु तीन मुख्य मांगें होंगी:
ग्रेटर जमशेदपुर नगर निगम गठन का कड़ा विरोध – जो कि संविधान की पांचवीं अनुसूची और आदिवासी अधिकारों के साथ सीधा अन्याय है.
सरना धर्म कोड को केंद्र सरकार द्वारा तत्काल मान्यता दी जाए.
पेसा कानून को झारखंड राज्य में शीघ्र प्रभाव से लागू किया जाए.
विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय
बैठक में धरना-प्रदर्शन की तैयारी के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाई गई. प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
प्रत्येक गांव से ₹500 की राशि 5 जून तक माझी-पारगना के केशियर को दी जाएगी.
ग्राम सभाओं में बैठक कर विरोध प्रस्ताव पारित कर, हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री और उपायुक्त को भेजा जाएगा.
प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोग पारंपरिक परिधान एवं पारंपरिक हथियारों के साथ सम्मिलित होंगे.
हर व्यक्ति को अपने साथ स्थानीय खाद्य सामग्री जैसे दाका पोटोम, मुढ़ी, चुड़ा, सत्तू, चना, गुड़ आदि लाना अनिवार्य होगा.
तख्तियां, झंडे और बैनर गांव स्तर पर पहले से तैयार किए जाएंगे.
यह सुनिश्चित किया जाएगा कि क्षेत्र के क्लब, सामाजिक संस्थाएं और सोसाइटी भी इस आंदोलन में सक्रिय सहयोग दें.
“एक और हूल” – अस्मिता और आत्मसम्मान की हुंकार
यह आंदोलन केवल किसी प्रशासनिक निर्णय का विरोध नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वाभिमान और हक-अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन चुका है. इसे “एक और हूल” का नाम दिया गया है – एक ऐसी पुकार, जो आदिवासी चेतना, सामाजिक एकता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का नया अध्याय रचेगी.
बैठक में मौजूद रहे संघर्ष के सिपाही
बैठक में परगना दसमत हांसदा, माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू, दालमा राजा राकेश हेंब्रम, आंदोलनकारी डेमका सोय, जमशेदपुर मुखिया संघ महासचिव कान्हु मुर्मू, माझी बाबा सालखू सोरेन, चुनका मार्डी, सुरेन्द्र टुडू, माझी बाबा बिंदु सोरेन, सचिव सुनील किस्कू, जोबा मार्डी, नीनू कूदादा, नागी मुर्मू, सरस्वती टुडू, धनमुनी मार्डी, मनोज मुर्मू, माझी बाबा सेन बसु हांसदा, मोहन हांसदा और बिरसिंह बास्के सहित विभिन्न ग्रामों के माझी बाबा उपस्थित रहे.
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