झाड़ग्राम: एक ऐतिहासिक फैसले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-द्वितीय अरविंद मिश्रा ने झारखंड पार्टी के 45 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ये सभी 1993 में छह सीपीआई(एम) कार्यकर्ताओं के अपहरण और निर्मम हत्या के आरोपित थे।
घटना 7 मई 1993 की है। आरोपितों ने सीपीआई(एम) कार्यकर्ता मनोज गोड़ाई, बिपुल महतो, कार्तिक महतो, डॉ. सौमेन मुखर्जी, साधन महतो और बिद्युत महतो को उनके घर से हिजला में पार्टी बैठक के लिए जाते समय अगवा किया। ये सभी सुबह लगभग 9 बजे घर से निकले थे, लेकिन बैठक स्थल तक कभी नहीं पहुँचे।
अगले दिन, कपाट कातार जंगल से उनके क्षत-विक्षत शव बरामद किए गए। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, इन कार्यकर्ताओं की चाकू, भाला, लाठी और तीर से बेरहमी से हत्या की गई थी।
इस घटना के बाद 8 मई 1993 को झारखंड पार्टी के 103 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार को 45 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजिवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी पर ₹22,000 का जुर्माना भी लगाया गया।
अदालत ने दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ 147, 148, 149, 364, 302, 201, 34 और 120B के तहत दोषी पाया।
मुकदमे के 103 आरोपियों में से 39 की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 19 अब भी फरार हैं। इस फैसले के बाद दोषियों के परिजनों ने कहा है कि वे इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे, क्योंकि उनका दावा है कि उनके रिश्तेदार निर्दोष हैं।