
पहली बार पर्यटन विभाग ने किया आयोजन
देवघर: महाशिवरात्रि के मौके पर बुधवार शाम को नगर स्टेडियम (केकेएन स्टेडियम) से भव्य शिव बारात निकाली गई. बारात में भूत-पिशाच, दैत्य-दानव, किन्नर-गंधर्व और देवी-देवताओं की झांकियां सड़कों पर उतरी तो ऐसा महसूस हो रहा था कि देवघर में देवलोक उतर आया हो. पहली बार पर्यटन विभाग ने शिव बारात का आयोजन किया, जिसमें शिवरात्रि महोत्सव समिति ने सहयोग किया. बारात को और अलौकिक व भव्य रूप बनाने के लिए राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन की टीम पिछले 15 दिनों से तैयारी में जुटी हुई थी. बुधवार शाम में उदघाटन के साथ ही शिव बारात में केकेएन स्टेडियम से निकली और निर्धारित रूटों से होते हुए बाबा बैद्यनाथ मंदिर पहुंची. शिव बारात की झांकियां जब एक साथ देवघर की सड़कों पर निकली तो इस अलौकिक क्षण को सभी अपने मोबाइल में कैद करने से नहीं चूक रहे थे.
शहर में की गई आकर्षक विद्युत साज-सज्जा
सम्पूर्ण मेला क्षेत्र व देवघर शहर में रंग-बिरंगे स्पाइरल लाइट से सुसज्जित विद्युत पोल की सुंदरता परस्पर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थी. बाबा मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों के अलावा सम्पूर्ण शिव बारात रुटलाइन और देवघर शहर के अन्य जगहों पर इन लाइटों को लगाया गया.
इन रूटों से गुजरी शिव बारात देखे वीडियो –
महाशिवरात्रि को शाम 7 बजे बाबा भोलेनाथ की बरात केकेएन स्टेडियम से निकली, जो बजरंगी चौक, टावर चौक, आजाद चौक, भैरो बाजार, नरसिंह टॉकीज रोड, शिक्षा सभा, चांदनी चौक, बैद्यनाथ लेन होते हुए बैद्यनाथ मंदिर के पूरब दरवाजा से मंदिर में प्रवेश किया. शिवरात्रि से पहले ही पूरा शहर में शिव धुन बज रहा था, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया था.
एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों के हुए दर्शन देखे वीडियो –
इस बार शिव बारात की झांकी में श्रद्धालुओं को एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हुए. बारात में कलयुग के थीम पर कई झांकियां थी, जिसमें कलका सूर और कल्कि अवतार प्रमुख हैं. कलका सुर मनुष्य के निगेटिव और पॉजिटिव दोनों सोच को दर्शाने वाली झांकी थी. बच्चों में मोबाइल के दुष्प्रभाव को बताने वाली झांकी भी शामिल थी. इसके अलावा हफिया हूप, हाथी के रूप में भगवान गणेश समेत कई देवी-देवताओं की देव दुर्लभ झांकियां झांकियां बारात में आकर्षण का केंद्र रही.
ड्रोन और लेजर शो का हुआ आयोजन
बारात में पहली बार ड्रोन शो, लेजर शो तथा बारात रूट में सड़क किनारे बने 30 से 40 मंचों पर अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें छउ नृत्य, फोक नृत्य से लेकर कई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. बाबा भोलेनाथ की बारात में 50 घोड़े, 15 ऊंट व 250 झंडों के साथ अलग- अलग दल शामिल थे.