
जमशेदपुर: पोटका निवासी अजय कुमार मंडल अपने डेढ़ साल के बेटे अनुज कुमार मंडल को 1 जनवरी 2025 की रात करीब 10 बजे साकची स्थित अभिषेक चाइल्ड केयर में लेकर पहुंचे. अनुज को लूज मोशन की समस्या थी, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी.
भर्ती के लिए 10,000 रुपये और फॉर्मेलिटी की मांग
अस्पताल में उपस्थित डॉक्टर मनोज कुमार ने अनुज को गंभीर बताते हुए तत्काल भर्ती करने की बात कही. उन्होंने कहा कि भर्ती के लिए पहले 10,000 रुपये जमा करने होंगे और फॉर्म पर साइन करना होगा. अजय ने पैसे जमा किए और फॉर्म पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद बच्चे को बेड पर ले जाया गया और 6,522 रुपये की दवाइयां व जांच के लिए अतिरिक्त राशि मांगी गई.
सादा कागज पर साइन की मांग: नैतिकता पर सवाल
डॉक्टर मनोज ने अजय को अपने चेंबर में बुलाकर कहा कि रात का समय है और किसी अन्य अस्पताल में बच्चा भर्ती नहीं होगा. उन्होंने सादा कागज पर साइन करने की मांग की और चेतावनी दी कि बच्चा सुबह तक जीवित रहेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. अजय ने विवश होकर साइन कर दिए.
उपचार में देरी और परिवार की चिंता
डॉक्टर द्वारा अनुज की स्थिति को लेकर डराने वाले बयान से अजय और उनकी पत्नी व्यथित हो गए. अजय ने डॉक्टर से पूछा कि जब समस्या गंभीर थी तो पहले ही दूसरे अस्पताल जाने की सलाह क्यों नहीं दी गई. इस पर डॉक्टर ने उल्टा उन्हें डांटना शुरू कर दिया.
टाटा मेन अस्पताल में मिला राहत
अजय ने मजबूर होकर रात 12 बजे अनुज को टाटा मेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां तत्काल इलाज शुरू हुआ और अब बच्चा स्वस्थ है.
रिफंड में अनियमितता
अजय द्वारा जमा किए गए 10,000 रुपये में से केवल 8,300 रुपये वापस किए गए. जांच के नाम पर लिए गए 3,472 रुपये की राशि को रिफंड करने से अस्पताल ने इनकार कर दिया.
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